नाटक
नाटक का सामान्य अर्थ है अभिनय करना। जब यह लिखित रुप में रहता है तो यह साहित्य का अंग होता है। परन्तु जब इसे मंच पर अभिनीत किया जाता है तो यह अभिनय कला का अंग होता है। जीवन की विभिन्न अवस्थाओं का अभिनय ही नाटक है। अनेक विद्वानों ने नाटक की परिभाषाएं दी हैं परन्तु उनमें मतैक्य नहीं है। नाटकों में कितने अंक या दृश्य होने चाहिए, इसपर भी मतैक्य नहीं है। पांच अंकों वाले नाटक अनेक हैं, परन्तु उससे कम अंकों वाले नाटक भी बहुतायत में लिखे गये है। दस अंकों से अधिक अंक वाले नाटकों को महानाटक कहा जाते हैं - जैसे हनुमन्नाटक। साहित्य की विधा नाटक का अभिनय जिस मंच पर होता है उसे रंगमंच कहा जाता है। वास्तव में रंगमंच ही नाटक की कसौटी है।नाटक की उत्पत्ति धार्मिक कर्मकांड से मानी जाती है। परन्तु भारतीय धारणा में नाटक की उत्पत्ति स्वयं धर्म से मानी गयी। भरत मुनि के नाट्यशास्त्र के अनुसार एक बार देवताओं ने ब्रह्मा से प्रार्थना की कि वह एक ऐसे मनोरंन अथवा क्रीड़ा की रचना करें जिसे सभी जातियों के लोग देख और सुन सकें। तब ब्रह्मा ने ऋग्वेद से पाठ्य अर्थात् आख्यान एवं संवाद, सामवेद से गीत, यजुर्वेद से अभिनय, और अथर्ववेद से रस लेकर एक पांचवें वेद की रचना की जिसे नाट्यवेद कहा गया। नाट्यवेद का विषय पौराणिक आख्यान था। उसके बाद ब्रह्मा ने एक रंगशाला का निर्माण कराया तथा भरत मुनि से कहा कि वह उसका मंचन करें। पहला नाटक जिसे मंचित किया गया वह था देव-दानवों का युद्ध। दानवों ने उसपर बहुत रोष प्रकट किया क्योंकि उन नाटक में उनकी पराजय दिखायी गयी थी। तब ब्रह्मा ने उन्हें शान्त करने के लिए नाटक की व्याख्या की जिसके अनुसार नाटक में पक्षापात के लिए कोई स्थान नहीे है वरन् उसमें विश्व की समस्त परिस्थितियों और घटनाओं का अनुकरण रहता है। नाटक केवल देवताओं अथवा दानवों का ही अनुभावन नहीं, बल्कि वह त्रैलोक्य का भावानुकीर्तन और भावों की अभिव्यक्ति है। उसका प्रणयन सबके लाभ के लिए होता है तथा उसे समस्त चरित्रों एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर लिखा जाता है। उसमें सभी बातों का वर्णन रहता है तथा वैदिक एवं अन्य गीतों का समावेश रहता है।
अभिनय चार प्रकार के होते हैं - आंगिक, वाचिक, आहार्य, और सात्विक। आंगिक का अर्थ है शरीक के अंगों के माध्यम से, वाचिक का अर्थ हो कथोपकथन के माध्यम से, आहार्य का अर्थ है वेषभूषा आदि के माध्यम से, तथा सात्विक का अर्थ है भावों के अभिनय के माध्यम से।