नाड़ी
भारतीय योगियों का मानना है कि मानव शरीर बहत्तर हजार नाड़ियों से बनी है। इसमें उपनाड़ियां शामिल नहीं हैं।इन नाड़ियों का आभास सभी को नहीं हो पाता है परन्तु सांस लेने और छोड़ने के समय दो नाड़ियों का स्पष्ट आभास होता है।
बांयीं ओर की नाड़ी को इड़ा या इंगला कहते हैं तथा दायीं ओर की नाड़ी को पिंगला। इन दोनों नाड़ियों के बीच जो प्रमुख नाड़ी है उसे सुषुम्ना नाड़ी कहा जाता है। सुषुम्ना नाड़ी मूलाधार से सीधी सहस्रार तक जाती है जबकि इड़ा तथा पिंगला सुषुम्ना के दोनों ओर लहरदार अवस्था में रहती हैं।
प्राणायाम के माध्यम से इन नाड़ियों को विशुद्ध किया जाता है जिसके कारण मूलाधार स्थित कुंडलिनी जागृत होती है तथा सुषुम्ना के रास्ते सहस्रार तक पहुंचती है तब योगी आनन्दावस्था को प्राप्त होता है।