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निर्गुणी भक्ति

निर्गुणी भक्ति भक्तिमार्ग की दो धाराओं में से एक है। दूसरी धारा का नाम है सगुण भक्ति। श्रीमद्भागवत में भगवान कहते हैं कि जो मेरे गुणों को सुनते ही मन की गति को अविच्छिन्न रूप से मुझ अन्तर्यामी में उसी तरह संचरित कर देते हैं जिस प्रकार गंगा समुद्र की ओर अखंड रूप से प्रवाहित होती है, और जो मुझमें अहेतुक प्रेमभाव रखते हैं वे निर्गुणी भक्ति के साधक कहलाते हैं।

Page last modified on Monday June 2, 2025 14:47:51 GMT-0000