निर्गुण धारा
निर्गुण धारा भक्ति साहित्य की एक धारा है, जिसमें ईश्वर को निराकार माना गया है। धर्म और दर्शन में इसे निर्गुण पंथ या निर्गुण मार्ग के नाम से भी जाना जात है। भारत में ऐसे अनेक पंथ रहे हैं जिनमें निर्गुण ब्रह्म की उपासना की जाती रही है। सत्व, रज, और तम तीन गुण बताये गये है, और जो इन तीनों गुणों से परे हो उसे ही निर्गुण कहा जाता है। यही अनिर्वचनीय सत्ता है, परमतत्व है, परमात्मा है।