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निर्णयात्मक आलोचना प्रणाली

निर्णयात्मक आलोचना प्रणाली को निश्चयात्मक आलोचना प्रमाली भी कहा जाता है। साहित्य में आलोचना की यह प्रणाली सर्वाधिक पुरानी पद्धति है जिसमें रचाना का मूल्यंकन कर आलोचक आपना निर्णय देता है। निर्णय देने के अनेक आधार होते हैं। आलोचक का अपना मानदंड होता है जिसके आलोक में वह रचना के संदर्भ में अपना निर्णय देता है। इस पद्धति के तरह माना जाता है कि निर्णय के अभाव में आलोचना का ही कोई मूल्य नहीं है। निर्णय देना ही आलोचना का अंतिम उद्देश्य है।

Page last modified on Wednesday June 11, 2025 15:21:44 GMT-0000