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नेपाली भाषा

नेपाल में या नेपाली समुदाय में बोली जाने वाली भाषा को नेपाली कहा जाता है। यद्यपि इस भाषा का मूल संस्कृत ही है, और संस्कृत के अनेक शब्द इसमें सम्मिलित हैं, यह सीधे-सीधे संस्कृत से नहीं निकली है। विद्वानों का मत है कि यह प्राकृत के विकृत रूप से निकली है, अर्थात् संस्कृत से चौथी पीढ़ी में।

आरम्भ में कुमाऊं पर्वतीय क्षेत्र से आगे पाल्पा, डोरी, सल्यान, तनरूं आदि में गोरखाली भाषा प्रचलित थी। चौदहवीं शताब्दी के प्ररम्भ में जब अलाउद्दीन खिजली ने चित्तौड़ पर जीत हासिल की तो उस समय राणा रत्न सिंह के वंशज कुमाऊं होकर पाल्प गये। इसी वंश के पृथ्वीनारायण शाह ने आधुनिक नेपाल की नींव डाली और काठमांडू को राजधानी बनाया। स्वाभाविक रूप से इसमें राजस्थानी भाषा का भी प्रभाव पड़ा। इसके पूर्व 12 वीं शताब्दी से मिथिला का प्रभाव रहा क्योंकि नेपाल के कुछ हिस्से मिथिला में थे। इस तरह इसमें मैथिल का प्रभाव आया। मागधी प्रकृत से भी यह भाषा प्रभावित हुई। बाद में गुरूड़, मगर, पूर्व के राई, तिब्बू आदि क्षेत्रों की भाषा नेवारी का भी प्रभाव पड़ा। गोरखाली इन सबका मिश्रण थी और यही बाद में नेपाली भाषा बनी। 1932 में पहली बार नेपाली शब्द का प्रयोग इस भाषा के लिए किया गया।

नेपाली भाषा कि लिपि देवनागरी है। यह भाषा उत्तर में भोट, पूर्व में सिक्किम, दर्जीलिंग, मंचीनदी, पश्चिम में महाकाली नहदी और दक्षिण में कोसी नदी के बीच लगभाक 56,000 वर्गमील क्षेत्र में बोली जाती है। इन क्षेत्रों में से कई भारत में हैं।

नेपाली भाषा के वर्तमान काल में क्रिया के अन्त मे छ, छन्, और हुन का प्रयोग होता है। इसमें अव्यय शब्द में सम्मिलित रहता है। इसमें तीन लिंग होते हैं - पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, और नपुंसक लिंग। सामान्यतः ओकारान्त शब्द पुल्लिंग, इकारान्त शब्द स्त्रीलिंग, और उकारान्त शब्द नपुंसक लिग होते हैं। इसमें दो ही वचन होते हैं - एकवचन और बहुवचन। क्रिया में सामान्यतः न् लगाकर तथा संज्ञा और सर्वनाम में हरु लगाकर बहुवचन बनाया जाता है।

नेपाली भाषा का प्राचीनतम उदाहरण 1543 के महाराज द्रव्यशाह के प्रसिद्ध लाल-मुहर ताम्र-पत्र में मिला है। लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व 18वीं सताब्दी का काठमांडू के राजा प्रतापमल्ल का एक शिलालेख भी मिला है। शिलालेख की भाषा के 'खस' भाषा के नाम से भी जाना जाता है।

प्रेमनिधि पंत नेपाल के प्राचीन लेखक हैं जिनकी पुस्तक प्रायश्चित्तदीप में कहीं-कहीं नेपाली भाषा का प्रयोग मिलता है। परन्तु गुमानी कवि के श्लोकों में चतुर्थ पद नेपाली में मिलते हैं जबकि पहले तीन पद संस्कृत में। उनके बाद के लेखकों ने मुख्यतः खण्डकाव्य और अनुवाद-ग्रंथ ही लिखे, जिनमें प्रमुख नाम हैं - वीरशाही पन्त, रघुनाथ, वसन्त, इन्दिरस, विद्यारण्य केसरी, और यदुनाथ पोखरेल। वीरशाही की प्रमुख रचनाएं हैं द्रौपदीविलाप और गोपिका-स्तुति। रघुनाथ का सुन्दरकाण्ड, वसन्त कवि का कृष्णचरित भी उल्लेखनीय हैं। विद्यारण्य का द्रौपदी-स्तुति, युगल गीत, और गोपिका की स्तुति भी प्रसिद्ध हैं। यदुनाथ का कृष्ण चरित भी उल्लेखनीय है। इन लेखकों और कवियों ने नेपाली साहित्य को प्रारंभिक दिनों में संवारा।

उसके बाद की पीढ़ी में भानुभक्त (जन्म 1811 ई) ने नेपाली भाषा में सम्पूर्ण रामायण की रचना की। उन्हें नेपाली का आदि कवि माना जाता है, और उनके रामायण का नेपाल में बड़ा सम्मान है, ठीक वैसा ही जैसा कि भारत में तुलसीदास के रामचरितमानस का। उनकी अन्य रचनाओं में वधूभिक्षा तथा भक्तमाता प्रमुख हैं।

उनके बाद नेपाली में रचना करने वाले अनेक कवि हुए जिनमें प्रमुख थे पन्तजलि गजुरेल और राजीवलोचन। गजुरेल की प्रमुख रचनाएं हैं मत्स्येन्द्रनाथ की कथा, हरिभक्तमाला, और गोपालवाणी। राजीवलोचन की प्रमुख रचना है केदारकल्प।

मोतीराम भट्ट (1866-1896) भी एक प्रसिद्ध कवि हुए जिन्हें भानुभक्त के बाद नेपाली का दूसरा महत्वपूर्ण कवि माना जाता है। मात्र 31 वर्ष की आयु में उनका निधन नेपाली साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति थी। लक्ष्मीदत्त, गोपीनाथ तीर्थराज, मरीचिमानसी, तथा वीरेन्द्र केसरी उनके समकालीन लेखकों में थे।

प्रसिद्ध कवि शिखरनाथ की महत्वपूर्ण रचनाएं हैं - रामाश्वमेध तथा तीर्थयात्रावर्णन। लेखनाथ, जिन्हें नेपाल का कविसम्राट भी कहा जाता है, की बुद्धिविनोद, ऋतुविचार, लक्ष्मीपूजा नाटक, सत्यकलिसंवाद, लालित्य, तरुणतपस्वी, गीता का संक्षिप्त पद्यानुवाद, और पंचतन्त्र आदि रचनाएं भी उल्लेखनीय हैं।

नेपाली के एक उच्चकोटि का काव्यग्रंथ है आदर्शराघव, जिसकी रचना सोमनाथ ने की है। हेमराज की चन्द्रिका, जो चार खंडों का एक व्याकरण ग्रंथ है, ने नेपाली भाषा के विकास में बड़ा योगदान दिया है।

नाटककारों में उल्लेखनीय हैं बालकृष्ण सम। उनके पद्यनाटकों में प्रमुख हैं - मुटुको कथा, ध्रुव, मुकुन्द, इन्दिरा, प्रह्लाद, आदि। उनके गद्य नाटकों में भक्तभानुमल प्रमुख है।

लक्ष्मीप्रसाद की प्रमुख रचनाएं हैं - मुनामदन, शाकुन्तल महाकाव्य, सुलोचना, लक्ष्मी निबंधसंग्रह, भिखारी, और सावित्री-सत्यवान। धरणीधर, सिद्धिचरण, भिक्षु, भीननिधि, प्रेमराज, ध्रुव आदि नेपाली के अन्य प्रसिद्ध कवियों में हैं।

नेपाली के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं रुद्रराज पाण्डेय। उनकी प्रमुख रचनाएं हैं - रूपमती, चम्पाकाजी, प्रायश्चित्त, प्रेम, नवरत्न, हाम्रो नेपाल, और सैढेजंग। भवानीप्रसाद का यौवन की अन्धी और रूपनारायण का भ्रमर भी उल्लेखनीय है।

नेपाली कहानीकारों में उल्लेखनीय नाम हैं - विश्वेश्वर प्रसाद, गुरुप्रसाद मैनाली, पुष्कर, समसेर, और गोविन्दबहादुर 'गोढाले'।

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