नौटंकी
नौटंकी एक प्रकार का भारतीय लोकनाट्य है, जो उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, कानपुर, एटा, इटावा, मैनपुरी, मेरठ, सहारनपुर आदि में लोकप्रिय है। ग्वालियर की नौटंकी भी प्रसिद्ध है। पारम्परिक रूप से नौटंकी मंडलियां घुम-घुमकर नौटंकियों का प्रदर्शन किया करती हैं, परन्तु अब यह कला लुप्त होती जा रही है।यह मुगलकाल से पहले ही प्रारम्भ हो चुका था। इसका रंगमंच कामचलाऊ होता है, तथा कोई खास स्थिर मानदंड नहीं है। इसमें प्रायः बालक ही पारम्परिक रूप से स्त्रियों का भेष धारण कर उनका अभिनय करते हैं, परन्तु अब स्त्रियां भी अभिनय करने लगी हैं। सूत्रधार मंच पर आकर नौटंकी में घटित घटनाओं का काल, दृश्य, स्थान, और पात्रों के बारे में बताता है। इनकी कथाएं लौकिक होती हैं।
मंच पर गायकों और वादकों का समूह रहता है जो अभिनय, संवाद, नृत्य, गीत आदि को और अधिक आकर्षक बनाता है। तबलों और नगाड़ों का विशेष उपयोग किया जाता है। संवाद प्रायः काव्य रूप में होते हैं। इसमें प्रश्नोत्तर शैली में भी संवाद होते हैं तथा अन्त में सूत्रधार मंच पर आकर नौटंकी का संदेश भी देता है - जो बुराई को त्यागने तथा भलाई करने, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने आदि से सम्बंधित होते हैं।
पारम्परिक रूप से नौटंकी रात भर चलती है। यह लगभग 8 बजे शाम के आसपास शुरु होती है और प्रातः 5 बजे के आसपास समाप्त होती है। नौटंकी की मुख्य कथा के बीच में अनेक संगीत, नृत्य, और प्रहसन आदि भी चलते रहते हैं।
नौटंकी प्रायः चैत्र और वैशाख महीने या फिर कार्तिक और मार्गशीर्ष महीनों में हुआ करते हैं।
स्वांग को भी नौटंकी कहा जाता है जो एक संगीतरूपक है। यह किसी लोककथा पर आधारित होती है। इसका मुख्य छन्द चौबोला होता है।