Loading...
 
Skip to main content
(Cached)

न्याय

न्याय भारतीय दर्शन परम्परा में प्रमाणों द्वारा विषयों का परीक्षण है। इसका उद्भव वेदों के वाक्यों के अर्थों को निश्चित करने के लिए उनके पदार्थों और प्रमाणों का निर्धारण करने के लिए हुआ। यह वास्तव में प्रमाण-मीमांसा है। पदार्थ-मीमांसा के लिए एक अलग पद्धति अपनायी गयी जिसे वैशेषिक कहा जाता है। प्रमाण-मीमांसा और पदार्थ-मीमांसा दोनों को मिलाकर न्याय माना गया, जबकि प्रारम्भ में दोनों अलग-अलग माने जाते रहे क्योंकि दोनों के मीमांसा के क्षेत्र भिन्न थे। न्याय का मूल कार्य यद्यपि वैदिक दर्शन को अपने ढंग से समन्वित करना था, इसने बौद्ध दर्शन का खंडन करने का भी काम किया। न्याय यथार्थवादी या वस्तुवादी दर्शन है।

न्यायशास्त्र के 16 तत्व हैं - प्रमाण, प्रमेय, संशय, प्रयोजन, दृष्टांत, सिद्धान्त, अवयव, तर्क, निर्णय, वाद, जल्प, वितण्डा, हेत्वाभास, छल, जाति, तथा निग्रहस्थान। इन तत्वों के ज्ञान से निःश्रेयस की प्राप्ति का विधान है, क्योंकि इन तत्वों के ज्ञान से दुःखजन्य प्रवृत्ति, दोष, और मिथ्याज्ञान उत्तरोत्तर नष्ट होने पर ही अपवर्ग होता है।

प्रमाण चार हैं - प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, और शब्द। कुछ नैयायिक अनुमान के अन्तर्गत ही उपमान को रखते हैं। अनुमान दो हैं - स्वार्थानुमान और परार्थानुमान। अवयव पांच हैं - प्रतिज्ञा, हेतु, उदारहण, उपनय, और निगमन।

प्रमेय ज्ञान के विषय हैं - आत्मा, शरीर, इन्द्रिय, इन्द्रियार्थ, बुद्धि, मन, प्रवृत्ति, दोष, प्रेत्यभाव (जन्मांतर), फल, दुःख, और अपवर्ग।

नैयायिक तर्क के माध्यम से संशय को दूर करते हैं, या यूं कहें कि वे पहले संशय करते हैं और तर्क से उसे दूर करते हैं। वे एक परमात्मा तथा अनेक आत्मा मानते हैं। उनके अनुसार ईश्वर जगत का निमित्त मात्र हैं। ज्ञान आत्मा का एक गुण मात्र है।

अक्षपाद गौतम इसके प्रथम आचार्य थे, जिन्होंने ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में न्यायसूत्रों की रचना की। उसपर सन् 400 ई. के आसपास वात्स्यायन ने भाष्य लिखा। छठी शताब्दी में उद्योतकर ने उस भाष्य पर वार्तिक लिखा। न्याय के अन्य प्रसिद्ध आचार्य हैं वाचस्पति मिश्र, जयन्त भट्ट और उदयनाचार्य।

गंगेश उपाध्याय ने तत्वचिंतामणि (1200 ई) में नव्य न्याय की स्थापना की, जिसके अन्य प्रमुख आचार्य हुए रघुवंश शिरोमणि, जगदीश भट्टाचार्य, और गदाधर भट्टाचार्य।

Page last modified on Wednesday June 11, 2025 14:28:25 GMT-0000