पंचोपासना
पंचोपासना का सामान्य अर्थ है पांच प्रकार की उपासना। हिन्दू धर्मावलम्बियों में देव प्रतिमाओं के पांच प्रकार से पूजन को पंचोपासना कहा जाता है। इसी को पंचोपचार भी कहा जाता है। यह संक्षिप्त पूजा विधान उन लोगों को लिए है जो किसी कारण से षोडशोपचार पूजन नहीं कर सकते। गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य इन पांचों को अर्पित कर पूजा करने को ही पंचोपचार पूजन कहते हैं। आखिर ये पांच ही क्यों? क्योंकि ये क्रमशः पृथ्वी, आप, तेज, वायु, और आकाश तत्वों के प्रतीक हैं। पंचोपासना सगुन उपासकों में ही प्रचलित है, तथा निर्गुण उपासक इस तरह के वाह्य उपचार पूजन पद्धति की आवश्यकता नहीं समझते क्योंकि वे, कबीर के शब्दों में - तन मन सीस समरपन कीन्हां पर विश्वास करते हैं।