Loading...
 
Skip to main content

परम्परावाद

परम्परावाद परम्पराओं पर आधारित दृष्टिकोण या जीवन पद्धति है। दुनिया भर के साहित्य में इसका उदाहरण देखने को मिलता है। हिन्दी साहित्य में नन्ददुलारे वाजपेयी, गुलाब राय, नगेन्द्र आदि लेखक स्पष्ट रुप से परम्परावादी रहे हैं। परम्परावाद में नयी विचारधारा के लिए कोई स्थान नहीं है, इसलिए परम्परावादी सामान्यतः परम्परा की रूढ़ियों या कुरीतियों में जकड़ जाते हैं। आधुनिक विचारधारा में परम्परावाद स्वीकार्य नहीं है।

Page last modified on Saturday June 14, 2025 16:34:34 GMT-0000