परिणामवाद भारतीय चिंतन परम्परा तथा दर्शन में परिणामवाद एक मत है। इसके अनुसार जगत् तथा जीव किसी मूलभूत तत्व के परिणाम हैं। ये उससे ही उत्पन्न तथा निःसृत हैं। परिणामवाद दो प्रकार के हैं - ब्रह्मपरिणामवाद तथा प्रकृतिपरिणामवाद।