पावापुरी जिसे अप्पापुरी के नाम से भी जाना जाता है जैनियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है। यह बिहार में स्थित है। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने यहीं महापरिनिर्वाण ग्रहण किया था। 500 ई. पू. में यहीं पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। कहा जाता है कि जहां पर उनका अंतिम संस्कार किया गया वहां की मिट्टी की इतनी ज्यादा मांग थी कि मिट्टी निकालने से वहां एक तालाब का निर्माण हो गया। जल मंदिर तथा सामोशरण यहां के प्रमुख मंदिर हैं।
पावापुरी में मुख्य रुप से पांच मंदिर जल मंदिर, गांव मंदिर, सामोशरण मंदिर और नया सामोशरण मंदिर आदि प्रमुख मंदिर है। इन मंदिरों के अतिरिक्त जल मंदिर के निकट एक दिगम्बर जैन मंदिर भी है।
गांव मंदिर: यह उस जगह बना हुआ है जहां भगवान महावीर ने अंतिम सांस ली थी। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्द्धन ने करवाया था।
जल मंदिर: जल मंदिर एक तालाब के बीचों-बीच बना हुआ है। इस मंदिर में मुख्य पूज्यनीय वस्तु भगवान महावीर की चरण पादुका है। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान महावीर का अंतिम संस्कार किया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्द्धन ने करवाया था। यह मंदिर विमान आकार में बना हुआ है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 600 फीट लम्बा पुल बना हुआ है।
सामोशरण मंदिर: यह मंदिर सफेद संगमरमर का बना हुआ है। कहा जाता है कि भगवान महावीर ने यहीं पर उपदेश दिया था।
इतिहास
2600 वर्ष पहले पावापुरी मगध साम्राज्य का हिस्सा था। उस समय इसे मध्यमा पावा या अप्पापुरी के नाम से जाना जाता था। मगध के सम्राट अजातशत्रु भगवान महावीर के प्रमुख अनुयायियों में से एक थे। उनके समय में हस्तिपाल पावापुरी का राजा था। जब भगवान महावीर पावापुरी आये तो वे राजा हस्तिपाल के राजकीयशाला में ठहरे थे।पावापुरी में मुख्य रुप से पांच मंदिर जल मंदिर, गांव मंदिर, सामोशरण मंदिर और नया सामोशरण मंदिर आदि प्रमुख मंदिर है। इन मंदिरों के अतिरिक्त जल मंदिर के निकट एक दिगम्बर जैन मंदिर भी है।
गांव मंदिर: यह उस जगह बना हुआ है जहां भगवान महावीर ने अंतिम सांस ली थी। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्द्धन ने करवाया था।
जल मंदिर: जल मंदिर एक तालाब के बीचों-बीच बना हुआ है। इस मंदिर में मुख्य पूज्यनीय वस्तु भगवान महावीर की चरण पादुका है। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान महावीर का अंतिम संस्कार किया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्द्धन ने करवाया था। यह मंदिर विमान आकार में बना हुआ है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 600 फीट लम्बा पुल बना हुआ है।
सामोशरण मंदिर: यह मंदिर सफेद संगमरमर का बना हुआ है। कहा जाता है कि भगवान महावीर ने यहीं पर उपदेश दिया था।