Loading...
 
Skip to main content

पाश

पाश बंधन को कहा जाता है।

संत साहित्य में शरीर को पाश माना गया है जिसमे बंधकर निर्गुण, निरंजन, परमशिव बन जाते हैं सगुन, अंजन पशु।


Page last modified on Sunday June 21, 2015 08:03:26 GMT-0000