प्रमाण
किसी भी चीज की सत्यता के जो आधार होते हैं उन्हें प्रमाण कहा जाता है।भारतीय चिंतन परम्परा में प्रमाण आठ प्रकार के होते हैं - प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, ऐतिह्य, अर्थापत्ति, सम्भव तथा अभाव।
प्रत्यक्ष का ज्ञान इन्द्रियों के माध्यम से होता है।
प्रत्यक्ष के ज्ञान के आधार पर अनुमान किया जाता है। ये अनुमान भी तीन प्रकार के होते हैं - पूर्ववत्, शेषवत् तथा सामान्यतोदृष्ट।
उपमान वह है जो किसी का सादृश्य हो।
शब्द प्रमाण वह है जो किसी पूर्व के सत्यवादी तथा विद्वान् व्यक्ति का कहा हुआ हो, तथा जिस कथन का आधार उनका ज्ञान हो।
ऐतिह्य का अर्थ है पूर्व में ऐसा था। यह जीवन चरित या इतिहास है।
अर्थापत्ति वह प्रमाण है जो किसी वाक्य के अर्थ से ही ध्वनित हो जाती है।
सम्भव वह स्थिति है जो हो सकता है।
अभाव का अर्थ है किसी का न होना।
इन आठ प्रमाणों के आधार पर सत्य या असत्य का निर्णय होता है। ऐसा न्यायशास्त्र का कहना है।