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ब्रह्मसूत्र

ब्रह्मसूत्र एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जिसमें ब्रह्म के बारे में मंत्रों के माध्यम से जानकारी संकलित है।
ब्रह्मसूत्र के चार पाद हैं अर्थात् चार भाग हैं।
पहले भाग को प्रकाशवान कहा जाता है। इसकी चार कलाएं हैं - प्राचीदिक्, प्रतीचीदिक्, दक्षिण दिक् तथा उदीचीदिक्। जो व्यक्ति इस प्रकाशवान पाद या चरण के रहस्य को जानकर ब्रह्म की उपासना करती है वह इस लोक में स्वयं भी प्रकाशवान हो जाता है।
दूसरे पाद का नाम अनन्तवान् है। इसकी चार कलाएं हैं - पृथ्वी, अन्तरिक्ष, द्यौ, तथा समुद्र। जो व्यक्ति इस अनन्तवान् के रहस्य को जानकर ब्रह्म की उपासना करता है वह इसी लोक में अनन्तवान् हो जाता है।
तीसरे पाद का नाम है ज्योतिष्वान्। इसकी चार कलाएं हैं - अग्नि, सूर्य, चन्द्र तथा विद्युत।
चौथे पाद का नाम है आयतनवान्। इसकी चार कलाएं हैं - प्राण, चक्षु, श्रोत्र, तथा मन।

इस प्रकार ब्रह्म या ईश्वर की चारों चरणों में कुल सोलह कलाएं हैं।

Page last modified on Tuesday July 30, 2013 08:49:14 GMT-0000