भारत में अभिनय का इतिहास
भारत में अभिनय का इतिहास कब से प्रारम्भ हुआ इसका अनुमान लगाना कठिन है। परन्तु इसना तो कहा ही जा सकता है कि भारत में अभिनय का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है।कहा जा सकता है कि नाटकों का प्रारम्भ धार्मिक अनुष्ठानों से हुआ होगा। उदाहरण के लिए अनंत चतुर्दशी की पूजा के समय समुद्र मंथन का अभिनय किया जाता है। एक कटोरे में पंचामृत लिया जाता है तथा खीरे के फल को मंदार पर्वत मान कर उससे मंथन किया जाता है।
पुरोहित पूछते हैं - क्या मथते हो?
यजमान कहते हैं - क्षीर समुंदर।
पुरोहित – क्या खोजते हो?
यजमान – अनंत भगवान।
आदि। इस तरह कथोपकथन चलता है। संभवतः नाटकों का स्रोत ऐसी ही परम्पराएं हैं।
एक और विचार यह है कि मानव में अनुकरण की प्रवृत्ति प्रारम्भ से ही रही है। मानव ही क्यों, अनेक पशु-पक्षी भी अनुकरण करते हैं। ये अनुकरण भी नाटकों या अभिनय के प्रारम्भिक स्रोत हो सकते हैं।
परन्तु नाटक की पुस्तक के आधार पर विचार करें तो हमें संस्कृत में लिखी भास की पुस्तक मिलती है जो लगभग सवा दो हजार वर्ष से भी पुरानी है।