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मणिपुर

ईसवी युग के प्रारंभ होने से पहले से ही मणिपुर का लंबा और शानदार इतिहास है। यहां के राजवंशों का लिखित इतिहास सन 33 ई. में पखंगबा के राज्याभिषेक के साथ शुरू होता है। उसके बाद अनेक राजाओं ने मणिपुर पर शासन किया। मणिपुर की स्वतंत्रता और संप्रभुता 19 वीं सदी के आरंभ तक बनी रही। उसके बाद सात वर्ष (1819 से 1825 तक) बर्मी लोगों ने यहां पर कब्जा करके शासन किया। 1891 में मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया और 1947 में शेष देश के साथ स्वतंत्र हुआ। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ में भाग ‘सी’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ। बाद इसके स्थान पर एक प्रादेशिक परिषद गठित की गई जिसमें 30 चयनित तथा दो मनोनीत सदस्य थे। इसके बाद 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अंतर्गत 30 चयनित तथा तीन मनोनीत सदस्यों की एक विधानसभा स्थापित की गई। 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ाकर उपराज्यपाल कर दिया गया। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई। इसमें 19 अनुसूचित जनजाति और 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। राज्य में लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक प्रतिनिधि है।

मणिपुर भारत की पूर्वी सीमा पर स्थित है। यह 23.83° से 25.68° उत्तर अक्षांश और 93.03° से 94.78° पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से यह राज्य दो भागों में बंटा हुआ है—पर्वतीय भाग में पांच तथा मैदानी भाग में चार जिले हैं। मणिपुर पूर्व में म्यांमार, उत्तर में नगालैंड, पश्चिम में असम और मिजोरम तथा दक्षिण में म्यांमार और मिजोरम से घिरा हुआ है। राज्य चारों तरफ से घिरी पहाड़ियों के बीच घाटी में है। राज्य के 9/10 भाग में पहाड़ियां हैं। मणिपुर पहाड़ी समुद्र तल से 970 मीटर ऊपर है। पहाड़ियां उत्तर में ऊंची है और दक्षिण में कम होते-होते समाप्त ही जाती हैं। घाटी भी दक्षिण की ओर ढल जाती है।
कृषि

कृषि और संबद्ध गतिविधियां राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। 70 प्रतिशत आबादी इस पर निर्भर करती है। घाटी और पर्वत राज्य के दो प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र हैं। घाटी को चावल का कटोरा कहा जाता है। पर्वतों की अधिकतम ऊंचाई 3000 मीटर है। राज्य का मौसम गर्म, आर्द्र और बारिश वाला है। पिछले दस वर्षों में राज्य में औसतन 1482.20 मिमि. वर्षा हुई। जून, जुलाई तथा अगस्त में सर्वाधिक वर्षा होती है। राज्य में कृषि भी असमान है क्योंकि यह बरसात पर निर्भर करती है।
वन

मणिपुर के उखरूल जिले में सिरोइ पर्वतमाला में सिरोइ लिलि पाई जाती है, विश्व में यह लिलि पुष्प सिर्फ यहीं पाया जाता है। जूको घाटी में दुर्लभ-प्रजाति जूको लिलि पाई जाती है।

राज्य जैव-विविधता के मामले में बहुत समृद्ध है। यहां टेक्सास, बकाटा, जिंगसिंग, आदि जैसे दुर्लभ औषधीय पौधे पाए जाते हैं। राज्य में 11-13 दिसंबर, 2008 तक इंफाल में आसियान तथा बिमस्टेक देशों के लिए औषधीय पौधों पर सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें बंग्लादेश, भूटान, ब्रूनेई, जेरूशलम, कंबोडिया, भारत, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड तथा वियतनाम ने भाग लिया। मणिपुर में दुर्लभ आर्किड तथा फर्न भी पाए जाते हैं।
सिंचाई

राज्य में 1980 में सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गईं। अभी तक 8 बड़ी तथा मझौली परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिसमें पांच आठवीं योजना अवधि के अंत तक पूरी की जा चुकी हैं।

इस समय तीन बड़ी तथा मझौली सिंचाई परियोजनाएं चल रही हैं। इन तीनों परियोजनाओं के पूरे हो जाने के बाद राज्य की सिंचाई आवश्यकताएं पूरी हो जाएंगी। इन परियोजनाओं को पूरा करना राज्य का प्राथमिक उद्देश्य है। थोबल बहुउद्देशीय परियोजना आंशिक रूप से पूरी हो गई है। इसकी क्षमता 4000 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई करने की है। चालू परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर 106950 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई हो सकेगी, वाणिज्य तथा उद्योग 19 एमजीडी जलापूर्ति होगी तथा 9.75 मेगावाट विद्युत उत्पादन होगा।
वाणिज्‍य और उद्योग

हथकरघा राज्य का सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है। कृषि के बाद इसमें सर्वाधिक लोग कार्यरत हैं। यह राज्य की महिलाओं की आय का प्रमुख स्रोत है। यह परंपरागत कला राज्य की महिलाओं का प्रस्थिति प्रतीक होने के साथ ही उनके सामाजिक-आर्थिक पक्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। खाद्य प्रसंस्करण राज्य का अन्य लोकप्रिय उद्योग है। इसकी लोकप्रियता को देखते हुए राज्य सरकार ने इंफाल में खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण केंद्र तथा खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण हाल खोला है। नीलाकुठी में फूड पार्क की स्थापना का काम चल रहा है। इसमें 60 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सामान्य सुविधाएं जैसे कोल्ड स्टोरेज, वेट ब्रिज, वेयरहाउसिंग, डाकघर, बैंक, विद्युत तथा जलापुर्ति उपलब्ध कराई जाएगी।

12 अप्रैल, 1995 से भारत-म्यांमार सीमा खोल दी गई है। इससे राज्य के बहुत से परिवारों को रोजगार मिला है। राज्य का वाणिज्य तथा उद्योग विभाग सीमापारीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएं करवा रहा है। सीमावर्ती कस्बे मोराह में वेयरहाउसिंग तथा कन्वेंशनल हाल स्थापित किए गए हैं। इंफाल वाणिज्य तथा उद्योग निदेशालय के परिसर में विदेश व्यापार महानिदेशालय का कैंप कार्यालय खोला गया है। गृह मंत्रालय की पहल से मोराह में एकीकृत चेकपोस्ट स्थापित किया गया है।
बिजली

मणिपुर राज्य की विद्युत आपूर्ति पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित केंद्रीय क्षेत्र के निम्न विद्युत उत्पादन स्टेशन पर निर्भर है
परिवहन

सड़कें:तीन राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 39, 53 तथा 150 राज्य के सभी जिलों को जोड़ती हैं। मणिपुर की राजधानी इंफाल राष्ट्रीय राजमार्ग 39 द्वारा उत्तर में नागालैंड तथा पूर्व म्यांमार से तथा एनएच 53 पश्चिम में असम से तथा एमएच 1580 दक्षिण में मिजोरम से जोड़ता है।

सौराष्ट्र-सिल्चर सुपर राजमार्ग परियोजना को मोराह तक बढ़ाया जा रहा है। प्रस्तावित मोराह-माइसॉट (थाईलैंड) राजमार्ग से मणिपुर दक्षिण-पूर्ण एशिया का गेटवे बन जाएगा।

उड्डयन: इंफाल पूर्वोत्तर का दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा है। यह आइजोल, गुवाहाटी, कोलकाता, सिल्चर तथा नई दिल्ली से वायु सेवा द्वारा जुड़ा है।

इंफाल हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाया जा रहा है। सिर्फ पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एयरलाइन का प्रस्ताव विचाराधीन है।

रेलवे: मई, 1990 में जीरीबाम में रेल हेड खोला गया। यह इंफाल से 225 किमी. है। इंफाल का निकटवर्ती रेल हैड दिमापुर (नागालैंड) 215 किमी. है।

जिरीबाम-तुपुल रेलवे लाइन को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है। लाइन का निर्माण 2014 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। रेल लाइन को तुपुल से इंफाल तक बढ़ाया जाएगा।
त्‍योहार

मणिपुर में वर्ष भर त्योहार मनाए जाते हैं। शायद ही कोई महीना हो जब कोई त्योहार न मनाया जाता हो। त्योहार मणिपुर निवासियों की सामजिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक आकांक्षाओं का प्रतीक हैं। राज्य के प्रमुख त्योहार हैं—लाई हारोबा, रास लीला, चिराओबा, निंगोल चाक-कुबा, रथ यात्रा, ईद-उल-फितर, इमोइनु, गाना-नागी, लई-नगाई-नी, ईद-उल-जुहा, योशांग (होली), दुर्गा पूजा, मेरा होचोंगबा, दीवाली, कुट तथा क्रिसमस आदि।
पर्यटन केंद्र

स्वास्थ्यप्रद जलवायु तथा मनमोहक प्राकृतिक भू-दृश्यों से मणिपुर पर्यटकों को बार-बार आने के लिए लुभाता है। मुख्य पर्यटन केंद्र—कांगला, श्रीश्री गोविंदाजी मंदिर, ख्वैरमबंद बाजार (इमा किथेल), युद्ध स्मारक, शहीद मीनार, नूपी लेन (स्त्रियों का युद्ध) स्मारक परिसर, खोगंमपट्ट उद्यान, आजाद हिंद सेना (मोइरंग) स्मारक, लोकतंत्र झील, केइबुल लामजो राष्ट्रीय उद्यान, विष्णुपुर का विष्णु मंदिर, सेंदरा, मोरह, सिरोय गांव, सिरोय पहाड़ियां, ड्यूको घाटी, राज्य संग्रहालय, केनिया पर्यटक आवास, खोग्जोम युद्ध स्मारक परिसर आदि हैं।

Page last modified on Thursday April 3, 2014 07:47:46 GMT-0000