मध्यकालीन भारत
जो लोग भारत में मुस्लिम प्रभाव के प्रारम्भ से मध्यकालीन भारत मानते हैं उनके अनुसार आठवीं शताब्दी से मध्यकालीन भारत प्रारम्भ होता है। परन्तु अधिकांश लोग 12वीं शताब्दी में भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना से इसका प्रारम्भ मानते हैं।मध्यकालीन भारत की समाप्ति 1857 से स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रारम्भ होते ही समाप्त हो जाता है, तथा उसके बाद प्रारम्भ होता है आधुनिक भारत का इतिहास।
अर्थात् भारत में मुस्लिम प्रभाव उनके शासन काल को ही मध्यकालीन भारत कहा जाता है।
दक्षिण एशिया में इस्लाम
पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु के बाद प्रथम शताब्दी में दक्षिण एशिया के अंदर इस्लाम का आरंभिक प्रवेश हुआ। उमायद खलीफा ने डमस्कस में बलूचिस्तान और सिंध पर 711 में मुहम्मद बिन कासिन के नेतृत्व में चढ़ाई की। उन्होंने सिंध और मुलतान पर कब्जा कर लिया। उनकी मौत के 300 साल बाद सुल्तान मेहमूद गजनी ने राजपूत राजशाहियों के विरुद्ध तथा धनवान हिन्दू मंदिरों पर छापामारी की एक श्रृंखला आरंभ की तथा भावी चढ़ाइयों के लिए पंजाब में अपना एक आधार स्थापित किया। वर्ष 1024 में सुल्तान ने अरब सागर के साथ काठियावाड़ के दक्षिणी तट पर अपना अंतिम प्रसिद्ध खोज का दौर शुरु किया, जहां उसने सोमनाथ शहर पर हमला किया और साथ ही अनेक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिरों पर आक्रमण किया।
भारत में मुस्लिम आक्रमण
मोहम्मद गोरी ने मुल्तान और पंजाब पर विजय पाने के बाद 1175 में भारत पर आक्रमण किया, वह दिल्ली की ओर आगे बढ़ा। उत्तरी भारत के बहादुर राजपूत राजाओं ने पृथ्वी राज चौहान के नेतृत्व में 1191 में तराइन के प्रथम युद्ध में पराजित किया। एक साल चले युद्ध के पश्चात मोहम्मद गोरी अपनी पराजय का बदला लेने दोबारा आया। वर्ष 1192 के दौरान तराइन में एक अत्यंत भयानक युद्ध लड़ा गया, जिसमें राजपूत पराजित हुए और पृथ्वी राज चौहान को पकड़ कर मौत के घाट उतार दिया गया। तराइन का दूसरा युद्ध एक निर्णायक युद्ध सिद्ध हुआ और इसमें उत्तरी भारत में मुस्लिम शासन की आधारशिला रखी।
फिर प्रारम्भ हुआ मध्यकालीन भारत का इतिहास।