महाभारत
महाभारत एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है। इस ग्रंथ के रचयिता व्यास हैं। व्यास ने जहां पुराणों में एक ओर भारत की प्राचीनतम कथाओं का संकलन किया वहीं महाभारत में अर्वाचीन या आधुनिक कथाओं, इतिहास, सामाजिक स्थिति, उस काल में लोगों की सोच आदि को चित्रित किया। स्वयं महर्षि कृष्ण द्वैपायन, जो व्यास का ही दूसरा नाम है, महाभारत के आदिपर्व कहते हैं -भूतस्थानानि सर्वाणि रहस्यं त्रिविधं च यत्।
वेदा योगः सविज्ञानो धर्मार्थः काम एव च।।46।।
धर्मार्थाकामयुक्तानि शास्त्राणि विविधानि च।
लोकयात्राविधानं च सर्वे तद् दृष्टवानृषिः।।47।।
इतिहासा सवैयाख्या विविधाः श्रुतयोऽपि च।
इह सर्वमनुक्रान्तमुक्तं ग्रंथस्य लक्षणम्।।48।।
अर्थात् सभी प्राणियों के स्थान, सभी रहस्य, वेद, योगशास्त्र, विज्ञान, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र, धर्म, अर्थ, तथा काम के वर्णन करने वाले ग्रंथों के सार, इस संसार में सुखपूर्वक रहकर जीने आदि सभी बातों का वर्णन इस महाग्रंथ में किया गया है। व्याख्या सहित इतिहास इसमें शामिल है। अभ्युदय और निःश्रेयस दोनों मार्गां का अपूर्व वर्णन भी इसमें समाहित है।
महाभारत की विषयवस्तु
महाभारत की विषयवस्तु के बारे में भी इसी तरह स्वयं व्यास ने कहा है - "इसमें निम्नलिखित विषयों का समावेश होता है - वेदों का रहस्य, उपनिषदों का तत्वज्ञान, अंग-उपांगों की व्याख्या, इतिहास और पुराण का विकास, त्रिकाल का निरुपण, जरा, मृत्यु, भय, व्याधि, भाव, अभाव का विचार, त्रिविध धर्म और आश्रम का विवेचन, वर्णधर्म, तप, ब्रह्मचर्य, पृथ्वी, चंद्र, सूर्य, युग सहित ग्रह नक्षत्रों के प्रमाण, न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, तीर्थ, नदी, पर्वत, वन, सागर, दिव्य कल्पनाएं, युद्ध कौशल ... आदि।महाभारत का उद्देश्य
स्पष्ट रुप से महाभारत का उद्देश्य इतिहास लेखन नहीं था, बल्कि वह बताना था जिसका अनुकरण कर व्यक्ति अपना कल्याण कर सकता है।ऊर्ध्वबाहुः चिरोम्यैष न च कश्चिच्छृणोति माम्।
धर्मादर्थश्च कामश्च स धर्मः किं न सेव्यते।।
व्यास कहते हैं, "मैं हाथ उठा उठाकर चिल्ला रहा हूं, पर कोई भी मेरी बात नहीं सुनता, धर्म से ही अर्थ और काम की प्राप्ति होती है, फिर उसी धर्म का ही आचरण क्यों न किया जाये"।
श्रीभागवत (1.4.28, 25) में व्यास की पीड़ा को स्पष्ट रुप से बताया गया है कि "स्त्री, शूद्र और मूर्ख चूंकि द्विजश्रुति का अर्थ नहीं समझ सकते इसलिए उन्हें श्रेयः प्राप्ति (कल्याण) का मार्ग बताने के लिए व्यास ने महाभारत की रचना की।"
इतना ही नहीं यह ग्रंथ विद्वानों के लिए भी है जिन्होंने चारों वेदों और उपनिषदों को पढ़ा हो और जानता हो। जो महाभारत को नहीं जानता वह बुद्धिमान नहीं हो सकता, ऐसा विद्वानों का मत है। वेदों और उपनिषदों के रहस्य को भी तभी अच्छी तरह समझा जा सकता है जब उन्हें पढ़ने के पहले महाभारत पढ़ लिया जाये।