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मानसिक स्वास्थ्य

किसी भी व्यक्ति के मन की स्वस्थता की अवस्था को मानसिक स्वास्थ्य कहा जाता है।

राजसिक तथा तामसिक प्रवृत्ति मन के दोष हैं जिनके कारण भांति-भांति की मानसिक व्याधियां उत्पन्न होती हैं। मन जब शरीर की इन्द्रियों के वश में होकर चलने लगता है तब काम, क्रोध, लोभ, भय, विषाद, तनाव आदि उत्पन्न होने लगते हैं तथा मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है। व्यक्ति अपनी ही अन्तरात्मा के विरुद्ध कार्यरत होकर अपना मानसिक स्वास्थ्य छिन्न-भिन्न कर लेता है।

Page last modified on Tuesday April 1, 2014 15:24:53 GMT-0000