मुमुक्षत्व मुमुक्षत्व किसी मन की वह अवस्था है जब व्यक्ति को मुक्ति तथा मुक्ति के साधनों के अतिरिक्त कुछ भी अच्छा नहीं लगता। भारतीय आध्यात्मिक चिंतन परम्परा में मानव की मुक्ति के लिए मुमुक्षत्व को प्रथम अनिवार्य सीढ़ी माना गया है।