मुहूर्त
एक मुहूर्त दो घटी या घड़ी का होता है। यदि मिनट में इसे जानना चाहें तो यह दो घटी 48 मिनट का होता है। एक दिन-रात में 30 मुहूर्त होते हैं। यदि दिन तथा रात बारह-बारह घंटे के हुए तो दिन में पन्द्रह मुहूर्त तथा रात में पन्द्रह मुहूर्त होते हैं। यदि दिन बड़ा हुआ तो मुहूर्तों की संख्या उसी के अनुसार दिन में बढ़ जायेगी और रात में कम हो जायेगी। उसी प्रकार यदि रात बड़ी हुई तो रात में उसी के अनुसार अधिक मुहूर्त हो जायेंगे। यह मुहूर्त खगोलशास्त्रीय गणना है। ज्योतिषियों से किसी कार्य का आरम्भ करने तथा या सम्पन्न करने के लिए जो शुभ तथा अशुभ मुहूर्त के बारे में पूछा जाता है, जिसका अर्थ केवल शुभ तथा अशुभ समय होता है जिसका आकलन भविष्य में होने वाले उसके शुभ या अशुभ फल के आधार पर किया जाता है। इसके लिए भी कई बान इन खगोलशास्त्रीय मुहूर्तों को भी आधार बनाया जाता है, परन्तु अधिकांश आधार तिथि, नक्षत्र, वार आदि पंचाग तथा ज्योतिष की अन्य बातें होती हैं।मुहूर्त की गणना सूर्योदय से प्रारम्भ होती है। पहले तीन मुहूर्त - 1. रुद्र 2. आहि 3. मित्र - को प्रातःकाल करते हैं। उसके बाद के तीन मुहूर्त - 4. पितॄ 5. वसु 6. वाराह - सङ्गव काल कहलाता है। उसके बाद के तीन मुहूर्त - 7. विश्वेदेवा 8. विधि 9. सतमुखी - मध्याह्नकाल, उसके आगे के तीन मुहूर्त - 10. पुरुहूत 11. वाहिनी 12. नक्तनकरा - अपराह्न काल और उसके बाद के तीन मुहूर्त - 13. वरुण 14. अर्यमा 15. भग - सायाह्न काल होता है।
सायाह्न काल के बाद गोधूलि काल आता है। उसके बाद रात्रिकाल का प्रारम्भ माना जाता है। रात्रि के मुहूर्त निम्न प्रकार हैं -
16. गिरीश 17. अजपाद 18. अहिर बुध्न्य
19. पुष्य 20. अश्विनी 21. यम
22. अग्नि 23. विधातृ 24. कण्ड
25. अदिति 26. जीव/अमृत 27. विष्णु
28. युमिगद्युति 29. ब्रह्म 30. समुद्रम
सूर्योदय के ठीक पहले अर्थात् प्रातःकाल के पहले उषा काल आता है।
ज्योतिष में मुहूर्त