आशय
योगदर्शन में वासनाओं को आशय कहा जाता है। आशय पूर्व संचित कर्मों के हैं, अर्थात् एक प्रकार से संस्कार हैं। परन्तु ये कर्मफल नहीं हैं, क्योंकि योगदर्शन में विपाक या कर्मफल पुरुष की चार प्रमुख विशेषताओं में से एक है, जो आशय के अतिरिक्त है।इन चार विशेषताओं में हैं - क्लेश, कर्म (धर्म तथा अधर्म), विपाक (कर्मफल) तथा आशय। इस दर्शन में कहा गया कि जो इन चारों से परे, अतीत, अस्पृष्ट तथा असंयुक्त है वह ईश्वर है।