राजगीर अभयारण्य राजगीर रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर की दूरी पर और पटना हवाई अड्डे से 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभयारण्य 35.84 वर्ग किलो मीटर के क्षेत्र में फैला है। यह अभयारण्य छोटी छोटी पहाडियों से भरा हुआ है जहां भूमि ऊंची नीची है। इस क्षेत्र में गर्म पानी के कई झरने हैं। इन गर्म झरनों में सल्फर की काफी मात्रा पाई जाती है।
इस अभयारण्य में उपस्थित वन्य जीवन इन जंतुओं से भरपूर है जैसे चीते, हाइना, बार्किंग डीयर और नील गाय आदि। यहां पाए जाने वाली चिडियां हैं, पीफाउल, जंगल फाउल, पार्टिज, काले और भूरे क्वेल्स, हार्न बील, तोते, डव, माइना आदि। इस क्षेत्र में जंगली भालू आम तौर पर देखा जा सकता है।
इस अभयारण्य के अतिरिक्त यहां बांस का एक पार्क वेनूवानाद्ध है। मूल रूप से यह पार्क राजा बिम्बसार का उद्यान था। वन विभाग ने चीतलों, नील गायों और सांभरों के साथ यह सुंदर डीयर पार्क बनाया है। यहां ऐतिहासिक महत्व के अन्य सभी सुंदर स्थान जोड़ने के लिए हवाई रोप-वे है जो जापानियों द्वारा निर्मित पहाड़ की चोटी पर स्थित बौद्ध स्तूप में जाने का रास्ता प्रदान करते हैं। इस अभयारण्य में राज्य सरकार के पर्यटन, वन और लोक निर्माण विभाग द्वारा ठहरने और भोजन आदि की अच्छी सुविधाएं प्रदान की गई हैं।
इस अभयारण्य में उपस्थित वन्य जीवन इन जंतुओं से भरपूर है जैसे चीते, हाइना, बार्किंग डीयर और नील गाय आदि। यहां पाए जाने वाली चिडियां हैं, पीफाउल, जंगल फाउल, पार्टिज, काले और भूरे क्वेल्स, हार्न बील, तोते, डव, माइना आदि। इस क्षेत्र में जंगली भालू आम तौर पर देखा जा सकता है।
इस अभयारण्य के अतिरिक्त यहां बांस का एक पार्क वेनूवानाद्ध है। मूल रूप से यह पार्क राजा बिम्बसार का उद्यान था। वन विभाग ने चीतलों, नील गायों और सांभरों के साथ यह सुंदर डीयर पार्क बनाया है। यहां ऐतिहासिक महत्व के अन्य सभी सुंदर स्थान जोड़ने के लिए हवाई रोप-वे है जो जापानियों द्वारा निर्मित पहाड़ की चोटी पर स्थित बौद्ध स्तूप में जाने का रास्ता प्रदान करते हैं। इस अभयारण्य में राज्य सरकार के पर्यटन, वन और लोक निर्माण विभाग द्वारा ठहरने और भोजन आदि की अच्छी सुविधाएं प्रदान की गई हैं।