रुद्राक्ष
रुद्राक्ष एक वृक्ष और उसके फल और बीज का नाम है। इसका शाब्दिक अर्थ है शिव की आंख। यही कारण है कि इसके गोल बीजों की माला शैवों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। योगी भी इस माला को पहनते हैं। सिद्ध परम्परा में योगियों की वेशभूषा में प्रयुक्त होने वाले 12 वस्तुओं में से यह एक है। जप और तन्त्र में रुद्राक्ष की माला का बड़ा महत्व बताया गया है, और इसे धारण करने के अनेक फल बताये गये हैं।रुद्राक्ष की माला में मनकों की संख्या के आधार पर उसका नाम रखा गया है और उसका उपयोग बताया गया है। सुमिरनी सबसे छोटी माला का नाम है जिसमें 18 या 28 मनके (बीज) होते हैं। योगी इसे कलाई में पहनते हैं। अन्य मालाएं 32, 64, 84, या 108 मनकों की होती हैं।
रुद्राक्ष के दानों में पाये जाने वाले कटावदार फांकें होती हैं, जिन्हें मुख कहा जाता है।
एक मुख वाले रुद्राक्ष को एकमुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। इसका बड़ा महात्म्य बताया जाता है। जिसके गले में एकमुखी रुद्राक्ष हो तो कहा जाता है कि उसपर शत्रु की चोट काम नहीं करती। इसके घर में रहने पर लक्ष्मी स्थिर होकर वहां रहती हैं। जो भी हो, एकमुखी रुद्राक्ष की पहचान जटिल मानी जाती रही है यद्यपि एक मुख स्पष्ट दिखायी देता है। भरोसे के लिए प्रचीन काल में जिस एकमुखी रुद्राक्ष की पहचान करनी होती थी उसे भेड़ की गर्दन में बांध देते थे और गर्दन पर शस्त्र से प्रहार करते थे। यदि गर्दन नहीं कटती थी तो उस रुद्राक्ष को एकमुखी मान लिया जाता था। परन्तु आज ऐसी हिंसा को उचित नहीं माना जाता।
दो मुखों वाले रुद्राक्ष को दोमुखी रुद्राक्ष कहते हैं। गृहस्थ योगियों के लिए ये अधिक फलदायी माने जाते हैं।
पांच मुखों वाले बीजों को पंचमुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। इन्हें विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
ग्यारह मुखों वाले रुद्राक्ष को बहुत पवित्र माना जाता है।