लश्कर-ए-तैयबा या लश्कर-ए-तोएबा (जिसका अर्थ है शुद्धों की सेना) दक्षिण एशिया के सबसे बड़े इस्लामी आतंकवादी संगठनों में से एक है। इसकी स्थापना अफगानिस्तान के हाफिज मुहम्मद सईद ने 1980 के दशकान्त में की थी। वर्तमान में यह पाकिस्तान के लाहौर से अपनी गतिविधियाँ चलाता है। पाक अधिकृत कश्मीर में यह अनेकों आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाता है।
खबरों के अनुसार इसकी स्थापना में अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआइए का योगदान था जिसका आरंभिक दिनों में उद्येश्य अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत शासन हटाना था । लेकिन बाद में इस संगठन ने भारत के विरुद्ध कई बड़े हमले किये हैं, और अब इसका प्रधान ध्येय कश्मीर से भारत का शासन हटाना है।
संगठन ने अपने को वहाबी इस्लाम के आदर्श पर स्थापित किया है।
आरंभिक दिनों में पाकिस्तान के कई शहरों में इस संगठन की दान-पेटियां मिलती थीं जहाँ इस आंदोलन के लिए लोगों से दान के रूप में आर्थिक मदद मिलती थी।
सितम्बर 2001 में अमेरिका पर हुए हमले के बाद तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य शासक परवेज़ मुशर्रफ़ ने इसपर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। इसके नेताओं की गतिविधियाँ सीमित कर दी गईं थीं और सदस्यों से शान्त रहने को कहा गया था।
2005 में कश्मीर में भूकंप के बाद इसे दान एकत्र करने की इजाज़त फ़िर से मिल गई। इसने बाद में जामातुद्दावा नामक संगठन का गठन किया।
खबरों के अनुसार इसकी स्थापना में अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआइए का योगदान था जिसका आरंभिक दिनों में उद्येश्य अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत शासन हटाना था । लेकिन बाद में इस संगठन ने भारत के विरुद्ध कई बड़े हमले किये हैं, और अब इसका प्रधान ध्येय कश्मीर से भारत का शासन हटाना है।
संगठन ने अपने को वहाबी इस्लाम के आदर्श पर स्थापित किया है।
आरंभिक दिनों में पाकिस्तान के कई शहरों में इस संगठन की दान-पेटियां मिलती थीं जहाँ इस आंदोलन के लिए लोगों से दान के रूप में आर्थिक मदद मिलती थी।
सितम्बर 2001 में अमेरिका पर हुए हमले के बाद तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य शासक परवेज़ मुशर्रफ़ ने इसपर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। इसके नेताओं की गतिविधियाँ सीमित कर दी गईं थीं और सदस्यों से शान्त रहने को कहा गया था।
2005 में कश्मीर में भूकंप के बाद इसे दान एकत्र करने की इजाज़त फ़िर से मिल गई। इसने बाद में जामातुद्दावा नामक संगठन का गठन किया।