वर-वधू मिलान में तत्व विचार
सभी 12 राशियों को चार तत्वों में बांटा गया है - अग्नि, पृथ्वी, वायु तथा जल। राशि न. 1, 5, तथा 9 अग्नि तत्व; 2, 6 तथा 10 पृथ्वी तत्व; 3, 7 तथा 11 वायु तत्व; एवं 4, 8, तथा 12 जल तत्व की राशियां मानी गयी हैं।जातक अपनी लग्न राशियों के स्वामियों के सम्बंधों के आधार पर अपने सम्बंधों के गुण दोष जान सकते हैं।
तत्व बोधक चक्र यहां सुविधा के लिए दिया जा रहा है।
अग्नि | पृथ्वी | वायु | जल | |
एकतत्व | अग्नि | पृथ्वी | वायु | जल |
मित्र तत्व | जल | वायु | पृथ्वी | अग्नि |
सम तत्व | पृथ्वी | जल तथा अग्नि | जल | पृथ्वी |
शत्रु तत्व | वायु | - | अग्नि | वायु |
अग्नि तत्व के साथ जन्मे व्यक्ति पित्त प्रकृति के एवं क्रोधी होते हैं।
पृथ्वी तत्व वाले व्यक्ति सहिष्णु, क्षमाशील तथा धैर्यशील होते हैं।
वायु तत्व वाले व्यक्ति वात प्रकृति के होते हैं तथा अत्यधिक बोलते हैं।
जल तत्व वाले व्यक्ति कफ प्रकृति के होते हैं तथा ये उत्तेजना में नहीं बल्कि शान्त स्वभाव के होते हैं।
यदि तत्व मैत्री उत्तम हो तो नाड़ी दोष का परिहार हो जाता है क्योंकि नाड़ी की उत्पत्ति तत्व से ही हुई है।
शत्रु तत्व वाले जातकों के बीच विवाह वर्जित है, यदि अन्य प्रकार से इनका परिहार न होता हो तो।