सातवां कूट है भकुट। इसके लिए सात अंक निर्धारित हैं।
दाम्पत्य प्रेम, सुख-दुःख, हानि-लाभ तथा सम्बंधों की जानकारी के लिए इसका विचार किया जाता है।
इसका विचार राशि एवं वर कन्या की राशियों की परस्पर दूरी की संख्या के आधार पर इसका विचार होता है।
भकुट सात प्रकार के हैं -
1. एक राशि
2. द्वि-द्वादश
3. त्रि-एकादश
4. चतुर्थ-दशम
5. नौ-पंचम
6. षडाष्टक, तथा
7. सम सप्तक
इन सातों भकुटों में एक राशि या एकाधिपत्य तथा सम सप्तक अतिश्रेष्ठ माने जाते हैं।
त्रि-एकादश एवं चतुर्थ-दशम् शुभद हैं।
द्वि-द्वादश, नौ-पंचम् एवं षडाष्टक अशुभ हैं। ऐसे होने पर विवाह वर्जित हैं तथा परिहार न होने पर विवाह नहीं करना चाहिए। यदि षडाष्टक हो तो बिल्कुल ही नहीं, तथा परिहार पर विशेष ध्यान देकर विचारण करना चाहिए।
भकुट दोष होने पर ग्रह मैत्री देखना चाहिए। यदि ग्रह मैत्री बनती हो तो इस दोष का परिहार हो जाता है।
राशि स्वामी या अंशनाथ दोनों में से एक की भी मित्रता होने पर भकुट दोष प्रभावी नहीं रह जाता।
एकाधिपत्य, सम सप्तक या दोनों की राशि या राशीश का एक होना, एक की राशि से दूसरे की राशि सातवें स्थान पर होने, या तीन, ग्यारह, चौथे एवं दशम होने से भी भकुट दोष प्रभावी नहीं रह जाता।
दोनों का भकुट शुभ होने पर सात अंक दिये जाते हैं।
दोनों का भकुट अशुभ होने पर शून्य अंक दिये जाते हैं।
भकुट गुण बोधक चक्र (वर की राशि के स्वामी ग्रह क्षैतिज तथा कन्या के उर्ध्वाधर दिये गये हैं) -
दाम्पत्य प्रेम, सुख-दुःख, हानि-लाभ तथा सम्बंधों की जानकारी के लिए इसका विचार किया जाता है।
इसका विचार राशि एवं वर कन्या की राशियों की परस्पर दूरी की संख्या के आधार पर इसका विचार होता है।
भकुट सात प्रकार के हैं -
1. एक राशि
2. द्वि-द्वादश
3. त्रि-एकादश
4. चतुर्थ-दशम
5. नौ-पंचम
6. षडाष्टक, तथा
7. सम सप्तक
इन सातों भकुटों में एक राशि या एकाधिपत्य तथा सम सप्तक अतिश्रेष्ठ माने जाते हैं।
त्रि-एकादश एवं चतुर्थ-दशम् शुभद हैं।
द्वि-द्वादश, नौ-पंचम् एवं षडाष्टक अशुभ हैं। ऐसे होने पर विवाह वर्जित हैं तथा परिहार न होने पर विवाह नहीं करना चाहिए। यदि षडाष्टक हो तो बिल्कुल ही नहीं, तथा परिहार पर विशेष ध्यान देकर विचारण करना चाहिए।
भकुट दोष होने पर ग्रह मैत्री देखना चाहिए। यदि ग्रह मैत्री बनती हो तो इस दोष का परिहार हो जाता है।
राशि स्वामी या अंशनाथ दोनों में से एक की भी मित्रता होने पर भकुट दोष प्रभावी नहीं रह जाता।
एकाधिपत्य, सम सप्तक या दोनों की राशि या राशीश का एक होना, एक की राशि से दूसरे की राशि सातवें स्थान पर होने, या तीन, ग्यारह, चौथे एवं दशम होने से भी भकुट दोष प्रभावी नहीं रह जाता।
दोनों का भकुट शुभ होने पर सात अंक दिये जाते हैं।
दोनों का भकुट अशुभ होने पर शून्य अंक दिये जाते हैं।
भकुट गुण बोधक चक्र (वर की राशि के स्वामी ग्रह क्षैतिज तथा कन्या के उर्ध्वाधर दिये गये हैं) -
राशि | मेष | वृष | मिथुन | कर्क | सिंह | कन्या | तुला | वृश्चिक | धनु | मकर | कुंभ | मीन |
मेष | 7 | 0 | 7 | 7 | 0 | 0 | 7 | 0 | 0 | 7 | 7 | 0 |
वृष | 0 | 7 | 0 | 7 | 7 | 0 | 0 | 7 | 0 | 0 | 7 | 7 |
मिथुन | 7 | 0 | 7 | 0 | 7 | 7 | 0 | 0 | 7 | 0 | 0 | 7 |
कर्क | 7 | 7 | 0 | 7 | 0 | 7 | 7 | 0 | 0 | 7 | 0 | 0 |
सिंह | 0 | 7 | 7 | 0 | 7 | 0 | 7 | 7 | 0 | 0 | 7 | 0 |
कन्या | 0 | 0 | 7 | 7 | 0 | 7 | 0 | 7 | 7 | 0 | 0 | 7 |
तुला | 7 | 0 | 0 | 7 | 7 | 0 | 7 | 0 | 7 | 7 | 0 | 0 |
वृश्चिक | 0 | 7 | 0 | 0 | 7 | 7 | 0 | 7 | 0 | 7 | 7 | 0 |
धनु | 0 | 0 | 7 | 0 | 0 | 7 | 7 | 0 | 7 | 0 | 7 | 7 |
मकर | 7 | 0 | 0 | 7 | 0 | 0 | 7 | 7 | 0 | 7 | 0 | 7 |
कुंभ | 7 | 7 | 0 | 0 | 7 | 0 | 0 | 7 | 7 | 0 | 7 | 0 |
मीन | 0 | 7 | 7 | 0 | 0 | 7 | 0 | 0 | 7 | 7 | 0 | 7 |