विवाह
भारतीय परम्परा में विवाह एक संस्कार है, परन्तु समाज विज्ञान में इसे एक संस्था कहा गया है। इस्लाम में विवाह एक रजामंदी या कॉन्ट्रैक्ट है।भारतीय चिंतन परम्परा में मनु ने आठ प्रकार के विवाह बताये हैं - ब्राह्म विवाह, दैव विवाह, आर्ष विवाह, प्राजापात्य विवाह, आसुर विवाह, गान्धर्व विवाह, राक्षस विवाह तथा पैशाच विवाह।
ब्राह्म विवाह वह विवाह है जिसमें वर तथा कन्या दोनों का विवाह उनकी शिक्षा-दीक्षा के बाद सदृश कुल में सम्पन्न होता है। कन्या के माता-पिता एक अनुष्ठान के बाद कन्यादान करते हैं।
दैव विवाह वह विवाह है जिसमें ऋत्विक के कर्म करते हुए जामाता को अलंकारयुक्त कन्या दिया जाता है।
वर से कुछ धन आदि लेकर किये गये विवाह को आर्ष विवाह कहा जाता है।
प्राजापात्य विवाह धर्म की वृद्धि के निमित्त किये जाने वाला विवाह है।
आसुर विवाह वह है जिसमें वर तथा कन्या को धन से खरीदकर किया जाता है।
गान्धर्व विवाह वर तथा कन्या दोनों आपस में ही मिलकर कर लेते हैं।
राक्षस विवाह बलात् किये जाने वाले विवाह को कहते हैं।
पैशाच विवाह शयन या मानसिक रूप से असंतुलित कन्या के साथ बलपूर्वक किये जाने वाले विवाह को कहते हैं।
ब्राह्म विवाह ही सर्वोत्तम विवाह माना जाता है। दैव तथा प्राजापत्य विवाह मध्यम श्रेणी का, आर्ष, आसुर तथा गांधर्व निकृष्ट, राक्षस अधम एवं पैशाच महाभ्रष्ट विवाह माना जाता है।
विवाह में द्वादशकूट विचार