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षट्क सम्पत्ति

भारतीय आध्यात्म चिंतन तथा योग परम्परा में योगी की छह सम्पत्तियां मानी गयी हैं जो वस्ताव में उसके कर्म हैं। इनके नाम हैं - शम, दम, उपरति, तितिक्षा, श्रद्था तथा समाधान।

यहां आत्मा और अन्तःकरण को अधर्माचरण से हटाकर धर्माचरण में लगाने को शम कहा गया है।
ज्ञानेन्द्रियों तथा कर्मेन्द्रियों को बुरे कर्मों से हटाकर सद्कर्मों में लगाने को दम कहा गया है।
दुष्ट कर्म करने वालों से स्वयं को अलग रखने को उपरति कहा गया है।
हर परिस्थिति में हर्ष तथा विषाद को छोड़कर मुक्ति साधनों में लगे रहने को तितिक्षा कहा गया है।
सत्य ज्ञान के प्रति पूर्ण झुकाव को श्रद्धा कहा गया है।
चित्त की एकाग्रता को समाधान कहा गया है।


Page last modified on Tuesday March 25, 2014 05:01:26 GMT-0000