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स्वच्छता

किसी भी स्थान, वस्तु या व्यक्ति को गन्दगी से मुक्त रखना स्वच्छता कहलाती है। स्वास्थ्य के प्रसंग में स्वच्छता का विशेष महत्व है जिसके बिना स्वास्थ्य की रक्षा नहीं की जा सकती।

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से स्वच्छता दो प्रकार की होती है - व्यक्तिगत स्वच्छता तथा सामूहिक स्वच्छता।

व्यक्तिगत स्वच्छता में व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक स्वच्छता आती है तथा सामूहिक स्वच्छता में समाज में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

मानसिक स्वच्छता का अर्थ है स्वयं को काम, क्रोध, मद, लोभ, ईर्ष्या, द्वेष आदि मानसिक विकारों से मुक्त रखना। यदि किसी व्यक्ति में मानसिक स्वच्छता नहीं है तो वह किसी भी प्रकार से अपने शरीर की रक्षा नहीं कर पायेगा।

शारीरिक स्वच्छता का अर्थ है शरीर को निर्मल रखना। इसके लिए स्नान करना, शरीर को धोना, मल-मूत्र का समय पर त्याग करना, नाक, कान, जीभ, दांत आदि की नियमित सफाई जैसे कार्य करने होते हैं।

सामूहिक स्वच्छता में अपने घर, टोले-मुहल्ले आदि की सफाई, जल-मल निकासी व्यवस्था, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तथा उसके स्रोतों की सफाई आदि शामिल है।

Page last modified on Saturday April 5, 2014 06:35:36 GMT-0000