सांप्रदायिक जमात ए इस्लामी और भारत विरोधी विपक्षी बांग्लादेश नेशनल पार्टी तीस्ता जल बंटवारे के मसले पर शेख हसीना वाजेद का जीना हराम कर रही है। बांग्लादेश की विदेश मंत्री दीपु मोनी के इस्तीफे की मांग तक की जा रही है।
पिछले दिनो विपक्षी बीएनपी ने राजधानी ढाका मे एक रैली का आयोजन किया। उसमें श्रीमती वाजेद पर तीस्ता समझौते पर विफलता को लेकर तेज हमले किए गए। पार्टी के महासचिव मिर्जा आलमगीर ने प्रधानमंत्री हसीना के उस बयान को गलत बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को अभी ट्रांजिट अधिकार नहीं दिए गए हैं। उन्होनंे कहा कि भारत को इस तरह का अधिकार मिल चुका है।
कुछ वक्ताओं ने तो यहां तक आरोप लगाया कि शेख हसीना वाजेद बांग्लादेश को भारत का एक राज्य बना देने पर आतुर है और वह चाहती है कि बांग्लादेश की मुख्यमंत्री बनकर यहां का शासन चलाए। उन्होंने कहा कि भारत को ट्रांजिट अधिकार देकर बांग्लादेश सरकार ने उसी दिशा में एक कदम बढ़ाया है।
विदेश मंत्री सुश्री मोनी के बारे में कहा गया कि उन्होंने 5 सितंबर की रात को भी यही कहा था कि तीस्ता मसले पर भारत के साथ बांग्लादेश का समझौता हो जाएगा। उस गलतबयानी के लिए बीएनपी नेताओं ने विदेश मंत्री दीपु मोनी का इस्तीफा मांगा है।
इस्तीफे की मांग का जवाब देते हुए विदेश मंत्री मोनी ने कहा कि वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगी, यदि इस तरह की मांग देश के लोगों की ओर से आती है, लेकिन उनके कहने पर वे अपना पद नहीं छोड़ने वाली, जो उनके खिलाफ पहले से ही पूर्वाग्रहग्रस्त हैं। उन्हानें कहा कि उन्हें जनता ने चुना है और जिन लोगों को जनता ने ठुकरा दिया, उन्हें उनका इस्तीफा मांगने का कोई अधिकार नहीं है।
बांग्लादेश चाहता था कि पश्चिम बंगाल से बहने वाली तीस्ता का 50 फीसदी पानी उसे मिलना चाहिए। भारत सरकार उस मांग पर गंभीर भी थी, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उसका भारी विरोध किया, जिसके कारण जल बंटवारे पर किसी प्रकार का नया समझौता नहीं हो सका। ममता का कहना है कि बाग्लादेश को 25 हजार क्यूसेक से ज्यादा जल नहीं दिया जा सकता है। यदि इससे ज्यादा दिया गया तो पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे।
दोनों देशो का लग रहा है कि निकट भविष्य में दोनों देशों के बीच तीस्ता जल बंटवारे में कोई सहमति बनेगी, लेकिन फिलहाल इस मसले पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को अपने देश में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
बांग्लादेश में कीमतें भी तेजी से बढ़ रही हैं। इसके कारण भी वहां सरकार की परेशानी बढ़ती जा रही है। सरकार के खिलाफ लोगों का असंतोष महंगाई के कारण बढ़ रहा है। अरब व अन्य मुस्लिम देशों में हो रही गड़बड़ियों के कारण वहां काम करे बांग्लादेशी भी प्रभावित हो रहे हैं, जिसके कारण वहां से देश को होने वाली आय प्रभावित हो रही है। नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस के खिलाफ सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई के कारण अमेरिका का भी हसीना सरकार से तनाव चल रहा है। इस बीच तीस्ता जल बंटवारे में भारत से काई समझौता नहीं हो पाना हसीना के लिए एक बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है। (संवाद)
तीस्ता मसले पर हसीना सरकार परेशानी में
बांग्लादेश नेशनल पार्टी ने आंदोलन तेज किया
आशीष बिश्वास - 2011-09-17 06:59
कोलकाताः जैसी कि आशंका जाहिर की जा रही थी, तीस्ता जल बंटवारे के मसले पर बांग्लादेश की हसीना सरकार संकट में फंसती जा रही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पिछली यात्रा के दौरान इस मसले पर बांग्लादेश के साथ भारत का समझौता नहीं हो पाया था।