लाहौर में पत्रकार इसे लेकर भ्रम की स्थिति में रहे। न तो भारत और न ही पाकिस्तान चाहता है कि इस मसले पर तनाव को और आगे बढ़ाया जाय। यह संतोष की बात है।

यदि किसी को देखना हो कि पाकिस्तान के लोग भारत के साथ शांति से रहने में कितनी दिलचस्पी रखते हैं, तो उन्हंे पाकिस्तान जाकर देखना चाहिए। ऐसी ही इच्छा भारत के लोगों की भी है। इस लेखक ने कई बार पाकिस्तान की यात्रा की है और खुद अपनी आंखों से देखा है कि वहां के लोग भारत के साथ शांति से रहना चाहते हैं।

पिछले सप्ताह लाहौर में साउथ एशिया फ्री मीडिया एसोसिएशन (साफ्मा) की बैठक थी। इस लेखक ने भी इसमें हिस्सा लिया था। यहा साफ्मा की आठवीं बैठक थी। मैंने वहां के भीड़ भाड़ वाले बाजारों में भी भ्रमण किया और वहां के समाज के अनेक तबके के लोगों से बातें की। मैंने पाया कि वे सभी लोग यही चाहते हैं कि भारत के साथ सीमा को पूरी तरह खोल दिया जाय और एक दूसरे देशों में आने जाने के लिए वीसा की जरूरत को समाप्त कर दिया जाय।

संयोग से सम्मेलन का उद्देश्य भी ’’खुली सीमा, खुला दिमाग’’ ही था। एक समय था जब अट्टारी- वाघा बाॅर्डर खुला हुआ था और ग्रैंड ट्रक रोड काबुल को कोलकाता से जोड़ता था। कोलकाता से आगे जाकर इसी रोड से ढाका भी जुड़ा हुआ था। सीमा के दोनों ओर के लोग अपनी अपनी सरकारों से कह रहे हैं कि सीमा को पूरी तरह खोल दिया जाय, ताकि दोनों देशों के लोग इसका फायदा उठा सकें।

कभी अमृतसर और लाहौर जुड़वां शहर हुआ करते थे और लाहौर, दिल्ली व ढाका को एक दूसरे से अलग करके नहीं देखा जा सकता था। साफ्मा के उद्घाटन समारोह का स्थान अमृतसर और समापन समारोह का स्थान लाहौर लोगों की सीमा खोलने की इच्छा को ध्यान में रखते हुए रखा गया था।

अप्रैल 2007 में संपन्न दक्षेस (सार्क) के शिखर सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी थी कि दक्षिण एशिया के सभी देशों के बीच लोगों को आने जाने या घूमने में पैदा होने वाली तकनीकी समस्याओं को दूर किया जाएगा। सभी देशों के लोगों के बीच नजदीकी रिश्तों के बढ़ाने की बात हुई थी। तकनीकी, आर्थिक, पंूजीगत, सामाजिक व अन्य सभी प्रकार के सहयोग को बढ़ाने की प्रतिबद्धता जाहिर की गई थी।

साफ्मा के पहले सत्र का उद्घाटन पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री मुस्लिम लीग के अध्यक्ष नवाज शरीफ ने किया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा भारत को दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देने से दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा और इससे दोनों देशों में संपन्नता आएगी। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंध स्थापित करने का उनका संकल्प अपनी जगह पर कायम है। लाहौर घोषणा को वे इसका एक उदाहरण मानते हैं। उन्होंने कहा कि यदि वे सत्ता में आएं, तो भारत से संबंध बेहतर करने का काम वे वहीं से शुरू करेंगे, जहां उन्होंने अपने पिछले कार्यकाम में छोड़ा था।

साफ्मा और क्षेत्रीय शांति के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया ने सीमा पार के दोनों तरफ के लोगों के बीच शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिए माहौल बनाने का काम किया है, जो बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मीडिया ने माहौल को बदला है और लोग पुराने तरीके से नहीं, बल्कि नये तरीके से सोचने लगे हैं।

अंतिम सत्र को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने संबोधित किया। उन्होंने दक्षिण एशिया के देशों से आह्वान किया कि वे आर्थिक समृद्धि के लिए राजनैतिक बाधाओं को घ्वस्त कर दें। उन्होंने कहा कि जब दिमाग खुला हो, तो सीमाएं ज्यादा मायने नहीं रखतीं। उन्होंने कहा कि हमें पत्रकारों के लिए वीजा की जरूरतों को समाप्त कर देना चाहिए।

अब इस तरह की कोशिशों के बीच सीमा पर संघर्ष की घटनाएं निश्चय ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं। (संवाद)