सीमा पार से कश्मीर में घुसपैठ कोई नई चीज नहीं है। पिछले कई साल से यह हो रही है। पाकिस्तानी सेना गोलीबारी करती है और उसकी आड़ में आतंकवादी भारत में घुसपैठ करते हैं। घुसपैठ को लेकर पाकिस्तान की रणनीति इधर कुछ बदल गई है। पहले आतंकवादियों की घुसपैठ जाड़े के महीने के शुरू होने के पहले करवाई जाती थी। इसके पीछे उद्देश्य यह होता था कि जाड़े के महीनों में जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाय। लेकिन इस साल जाड़े के महीनों में ही घुसपैठ करवाने की कोशिशें की जा रही हैं।

2003 के समझौते के बाद अनेक बार पाकिस्तान द्वारा युद्ध विराम का उल्लंघन किया गया है। उल्लंघन के बाद दोनों ओर से गोलीबारी की घटनाएं होती रही हैं और उनमें दोनों तरफ से लोग मारे जाते रहे हैं। पर पिछले कुछ सप्ताहों में पाकिस्तानी सेना ने युद्ध विराम के उल्लंघन की घटनाओं में बहुत वृद्धि कर दी है। ताजा घटना मे तो नृशंसता की सभी हदो को पार कर दिया गया। पाकिस्तान ने न केवल दो शहीद भारतीय जवानों के शवों को विकृत किया, बल्कि एक का सिर ही गायब कर दिया गया।

पाकिस्तान ने इस तरह की घटना को उस समय अंजाम दिया है, जब उसने एक नई ’’डाॅक्ट्रिन’’ की घोषणा की और बताया कि पाकिस्तान अब तक भारत को अपना दुश्मन नंबर एक मानता आ रहा था, पर अ बवह पाकिस्तान स्थिति जेहादी आतंकियों को अपना दुश्मन नंबर एक मानता है, भारत को नहीं। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन एक के बाद एक वहां के सैनिक और असैनिक ठिकानों पर हमले कर रहे हैं। इसलिए यदि पाकिस्तान उन्हें अपना दुश्मन नंबर एक मानता है, तो यह उचित ही है। पर सवाल उठता है कि यदि वह अपने अंदरूनी दुश्मनों को अपना दुश्मन नंबर एक मानता है, तो फिर उसे अपनी ताकत उन्हें दबाने में लगानी चाहिए। वह भारत के खिलाफ इस तरह की हरकतें क्यों कर रहा है?

लगता है कि पाकिस्तान भारत के प्रति एक दोहरे रणनीति पर काम कर रहा है, जिसके तहत वह एक तरफ भारत के साथ शांति वार्ता चला रहा है, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हो ओर दूसरी तरफ वह कश्मीर समस्या को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समस्या बनाना चाहता है। गौरतलब हो कि पाकिस्तान द्वारा कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय समस्या बनाने के पिछले सारे परिणाम विफल हो चुके हैं। अब तो कश्मीर से संबंधित संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रस्तावों को भी मृत सा मान लिया गया है। लेकिन पाकिस्तान चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर समस्या को फिर से नोटिस में लिया जाय। यही कारण है कि दो भारतीय जवानों की हत्या और उनके शवों को विकृत करने की घटना की वह अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से जांच कराना चाहता है, ताकि ऐसा होने पर कश्मीर समस्या का भी अंतरराष्ट्रीयकरण हो जाय।

तो क्या पाकिस्तान द्वारा अपने आंतरिक दुश्मनों को दुश्मन नंबर एक मामने की जो नई डाॅक्ट्रिन है, वह क्या सिर्फ दिखावे के लिए है, जिसकी आड़ में वह भारत के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाना चाहता है? कश्मीर को पाकिस्तान फिर अपनी आंतरिक राजनीति के कारण अपनी नीति के केन्द्र में लाना चाहता है। वहां चुनाव होने वाले हैं। वहां के हुक्मरानों को लग रहा होगा कि यदि कश्मीर की समस्या को हवा दी जाय, तो उसकी आड़ में वे अपनी नाकामियों को छिपा लेंगे। गौरतलब है कि पाकिस्तान की सरकार वहां जनता के बीच में काफी अलोकप्रिय हो चुकी है। वहां की जनता अमेरिका के बढ़ते दखल और उसके द्वारा पाकिस्तान में की जा रही बमबारी से बहुत नाराज है। इसके लिए पाकिस्तान की सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है, क्योंकि वह अमेरिका के दबाव के आगे झुकी हुई है।

कश्मीर मसले को हवा देकर पाकिस्तान वहां के लोगों के अमेरिका विरोधी रुख को पलटकर भारत विरोधी बनाना चाह रहा होगा। अमेरिका भी अपनी तरफ से पाकिस्तान के प्रति नरम रुख अपना रहा है। पहले की तरह वह उस पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव नहीं डाल रहा है। उसने अपनी सेना अफगानिस्तान से जल्द हटाने के प्रति गंभीरत भी दिखानी शुरू कर दी है। वैसे माहौल में पाकिस्तान की जनता को अमेरिका विरोध की मानसिकता से हटाकर भारत विरोध की मानसिकता में लाने का प्रयास भी पाकिस्तानी हुक्मरान सीमा पर तनाव पैदा करके करना चाह रहे हैं। (संवाद)