आखिर चीन चाहता क्या है? वह एशिया के दो देशांे के बीच बढ़ते सहयोग पर क्यों लाल गर्म होता है? तो इसका कारण यह है कि वह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर से जुड़े देशांे को एक साथ आने का ही विरोध कर रहा है। इस क्षेत्र के 4 शक्तिशाली देश एक दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने के इच्छुक हैं। वे देश हैं- भारत, आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका। चीन को लगता है कि ये चारों देश एक साथ उनके खिलाफ किसी साजिश के तहत इकट्ठे हो रहे हैं।

देशों के बीच आपसी संबंध बेहतर होना और उसके बेहतर करने का प्रयास बुरा नहीं है। चीन चाहे तो भारत के साथ भी अपने संबंध बेहतर कर सकता है। पर 1962 के युद्ध के बाद उसने कभी भी इसके लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं ंिकया। इसके उलट उसने जब तब ऐसी हरकतें की, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और भी खराब हुए। उसके सैनिक रात के अंधेरे मे भारत की सीमा में घुस जाते हैं और वहां चैकी स्थापित कर लेते हैं। उसके सैनिक भारत की सीमा में घुसकर सड़क बना डालते हैं। इस तरह से वह भारत के साथ अपना संबंध खुद बिगाड़ता है और जब भारत किसी और देश से अपना संबंध ठीक करना चाहता है, तो उसे लगता है कि उसके खिलाफ साजिश की जा रही है।

भारत के प्रधानमंत्री जापान गए। चीन को खराब लगा। पर चीन के प्रधानमंत्री भी तो पाकिस्तान में जाकर नवाज शरीफ से उनके प्रधानमंत्री बनने के पहले ही मिल आए। उनका वह मिलन क्या भारत के खिलाफ नहीं था? वह वहां इसलिए गए ताकि नवाज शरीफ भारत के साथ पाकिस्तान के संबंध ठीक करने के लिए कोई गंभीर पहल नहीं करे।

चीन को लगता है कि भारत जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर उसे घेरने की कोशिश कर रहा है। लेकिन वह यह क्यों भूल जाता है कि वह स्वयं भारत को चारों तरफ से घेर रहा है। उसने पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, थाईलैंड और श्रीलंका के साथ व्याापारिक और रणनीतिक गठजोड़ इसलिए बनाया है, ताकि वह भारत को चारों तरफ से घेर सके। वह भारत की सीमा पर तनाव पैदा करने का भी काम करता है। और इस सबके बीच चाहता है कि भारत अपना राजनय भी उसी की सुविधा के अनुसार करे।

चीन आज दुनिया की एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति है। राष्ट्रीय आय के लिहाज से वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। पिछले 30 साल से वह 10 फीसदी की औसत विकास दर से विकास कर रहा है। आने वाले कुछ वर्षों में वह अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा और विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अमेरिका और चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान है। हालांकि ओएसीडी के अनुसार अब यह स्थान भारत ने ले लिया है। यह सही हो या गलत, लेकिन इतना तय है कि भारत और जापान दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्ष्यस्थाओं में एक है। भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार भी है। और चीन का विकास विदेशी व्यापार की वजह से हुआ है।

विदेशी व्यापार की वजह से चीन का तेज विकास हुआ है और चीन चाहता है कि विदेशी बाजार उसके लिए अनंतकाल तक सुरक्षित रहे। इसे सुरक्षित करने के लिए ही वह पूरा तामझाम फैला रहा है। वह अब दुनिया का सबसे बड़ा विदेशी व्यापार करने वाला देश बन गया है। इस मामले में वह अमेरिका को पछाडत्र चुका है। दुनिया मंे डाॅलर का सबसे बड़ा भंडार भी उसी के पास है। अमेरिका और चीन के बाद सोने का तीसरा सबसे बड़ा भंडार भी उसी के पास है।

इस तरह से चीन ने अपनी आर्थिक शक्ति मे काफी इजाफा कर लिया है। इस आर्थिक शक्ति का इस्तेमाल कर वह अपनी सैन्य क्षमता का काफी विस्तार कर चुका है। उसका यह विस्तार जारी है। इसके द्वारा वह दुनिया के समुद्री मार्ग पर भी अपना कब्जा जमाना चाहता है। वह प्रशांत महासागर और हिंदमहासागर दोनों का राजा बनना चाहता है। जब दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारी देश चीन है, तो उसे व्यापार मार्गों पर भी कब्जा चाहिए और अपने विकास को बनाए रखने के लिए दुनिया भर के बाजार भी उसके लिए खुले रहें। उसकी उसी मंशा के तहत वह अन्य देशों के आपास सहयोग को शक की नजर से देखता है।

चीन की बढ़ती दादागीरी का एक ही इलाज है और वह यह है कि दुनिया के देश उसके साथ व्यापार करना बंद कर दें। उसके बाद उसके विकास का गुब्बारा फट जाएगा।(संवाद)