कुछ का मानना है कि पाकिस्तान में बदलाव की बयार बह रही है, क्योंकि वहां लगातार दो बार सफल चुनाव पहली बार हुए हैं और असैनिक सरकार सत्ता में आई है। 2013 के चुनाव में 55 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले थे, पहले होने वाले मतदान प्रतिशत से बेहतर थे।
नवाज शरीफ तीसरी बार सत्ता में आए हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि वे अपने अनुभव का लाभ अपने देश को पहुंचा पाएंगे। अपने पहले के अनुभव से उन्होनंे जो सीख ली है, उसकी रोशनी में पहले की गई गलतियों को नहीं दुहराएंगे।
लेकिन बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा वहां असैनिक सरकार के साथ सैनिक प्रतिष्ठान का संबंध कैसा रहता है। इस साल के अंतिम महीनों में सेनाध्यक्ष जनरल कयानी रिटायर होने वाले हैं। श्री शरीफ की एक बड़ी चुनौती उनकी जगह किसी नये सेनाध्यक्ष की नियुक्ति की है।
शरीफ को पाकिस्तान की एक और बड़ी समस्या को सुलझाना है। वह समस्या है बिजली संकट की। भारत ने उसकी इस समस्या को समझा है और अपनी तरफ से बिजली के निर्यात की पेशकश कर डाली है। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विशेष दूत एसके लाम्बा ने शरीफ से उनके शपथग्रहण के 9 दिन पहले ही तीसरी बार मुलाकात की और भारत की ओर से सभी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने की पेशकश की। भारत पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों का एक नया अध्याय शुरू करना चाहता है।
सूत्रों के अनुसार भारत अपनी अफगानिस्तान नीति को लेकर पाकिस्तान के मन में उपज रही आशंकाओं को दूर करना चाहता है। उसने उसे समझाने की कोशिश की है कि अफगानिस्तान से संबंधित उसकी नीति उसे विकसित करने और वहां स्थिरता कायम करने से संबंधित है और वह चाहता है कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था दक्षिण एशिया की शेष अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ जाए।
बिजली संकट को दूर करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री के विशेष दूत ने शरीफ को कहा है कि दोनों देशों के वाणिज्य सचिव मिलकर भारत से बिजली के निर्यात के तौर तरीको ंपर बातचीत कर सकते हैं।
चुनाव के बहुत पहले ही भारत की दो टीमों ने पाकिस्तान का दौरा किया था और उसे बिजली और गैस बेचने की पेशकश की थी। पिछले साल अगस्त महीने में इस मसले पर विस्तार से बातचीत हुई थी।
भारत ने इस अवसर का सही समय पर इस्तेमाल किया था। यदि भारत और पाकिस्तान का नेतृत्व अफगानिस्तान मसले पर सहयोग करता है, तो दक्षिण एशिया की अनेक समस्याएं हल हो जाएंगी। इसके कारण अफगानिस्तान में भी स्थिरता आ जाएगी। तब तुर्केमेनिस्तान, अफगानिस्तान पाकिस्तान पाइप लाइन का सपना साकार हो जाएगा। ईरान पाकिस्तान और भंारत को पाइपलाइन भी संभव हो जाएगा।
पाकिस्तान के नौकरशाहों के दिमाग भी अब पहले से ज्यादा खुले दिखाई पड़ रहे हैं। वे अफगानिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों की समस्या को हल करना चाहते हैं। पाकिस्तान के हित में एक स्थिर अफगानिस्तान है। पाकिस्तान अपने क्षेत्र के पश्तूनों से भी समस्या का सामना करता रहता है। शरीफ को इन बगावती पश्तूनों से भी बातें करनी होगी।
अफगानिस्तान में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान में भी तालिबानी समस्या है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति करजई को अफगानिस्तानी तालिबान की समस्या को हल करना है, तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पाकिस्तानी तालिबान की समस्या हल करनी है और दोनों इस मामले मे एक दूसरे के मददगार हो सकते हैं। यदि पाकिस्तान अपनी तालिबान समस्या का समाधान जल्द नहीं करता है, तो उसी अपनी अखंडता खतरे में पड़ सकती है।भारत से संबंध बेहतर बनाने के लिए उसे पाकिस्तान में सक्रिय भारत विरोधी ताकतों को भी समाप्त करना होगा। (संवाद)
क्या शरीफ भारत पाक संबंधों को बेहतर बना सकते हैं?
उन्हें भारत विरोधी ताकतों पर लगाम लगाना होगा
अशोक बी शर्मा - 2013-06-19 11:22
नवाज शरीफ के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद दुनिया भर में माथापच्ची हो रही है कि वे अपने देश को कौन सी दिशा में ले जाते हैं, क्योंकि उनके देश के सामने आज चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है।