अमेरिका के सरकारी वकीलों ने मैनहट्टन कोर्ट में पिछले शुक्रवार को बताया कि भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागढ़े को मुकदमों से छूट नहीं हासिल है और उनके खिलाफ मुकदमा बंद नहीं किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि देवयानी के भारत वापस आने के बाद उनके वकीलो ने अमेरिकी अदालत मे याचिका दायर कर कहा कि उनके खिलाफ चल रहा मुकदमा बंद किया जाना चाहिए, क्योंकि राजनयिक के रूप में उन्हे उन मुकदमों के खिलाफ संरक्षण हासिल है।

राजनयिक सूत्रों ने बताया कि कुछ साल पहले फ्रांस के राजनयिक रोमन सरमन पकड़े गए थे। उन्होंने अमेरिका के एक पुलिस अधिकारी पर उस समय हमला किया था, जब वे कोकीन खरीद रहे थे। किसी प्रकार के मुकदमे का सामना करने के पहले ही उन्हें फ्रांस वापस भेज दिया गया था। उन पर किसी प्रकार की निगरानी भी अमेरिका ने नहीं की और कुछ समय बाद उनका एक बार फिर पद स्थापन अमेरिका में ही हो गया। गिरफ्तारी के समय पुलिस अधिकारी पर हमला एक बड़ा अपराध है। घरेलू नौकरो को कम वेतन देने के अपराध से यह निश्चय ही बड़ा अपराध है। इसके बावजूद उस अपराध के आरोपी को अमेरिका ने छोड़ दिया। जाहिर है अमेरिका ने उस फ्रांसीसी राजनयिक और भारतीय देवयानी खोब्रागढ़े के मामले में दो तरह का रवैया अपनाया।

आमतौर पर आरोप मे फंसे राजनयिक को देश से निकालते समय यह ध्यान रखा जाता है कि वह राजनयिक दुबारा उस देश में वापस नहीं आए। इसके लिए उस पर नजर रखी जाती है। अमेरिका ने उस फं्रासीसी राजनयिक को अमेरिका से निकालने के बाद उस पर नजर भी नहीं रखी। वह वापस अमेरिका आया और राजनयिक के पद पर फिर से बहाल हो गया। दूसरी तरफ देवयानी को कहा गया है कि यदि उसने दुबारा अमेरिका आने के लिए वीजा आवेदन किया, तो उसके नाम पर नजर रखी जाएगी और अमेरिका वापस आने पर उस मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।

मनहट्टन कोर्ट को अमेरिकी अटार्नी प्रीत भडाना ने बताया कि खोब्रागढ़े एक पूर्व राजनयिक हैं। इसलिए उन्हें मुकदमे से छूट नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के समय देवयानी को अपने आधिकारिक कार्यो के निष्पादन के मामले में ही मुकदमे से छूट मिली थी। लेकिन फ्रांसीस राजनयिक पुलिस पर हमला करके अपना कोई आधिकारिक काम तो कर नहीं रहा था। इसके बावजूद उसे छूट मिली। (संवाद)