नेपाल में सबसे ज्यादा बिजली की कमी की समस्या रहती है। वहां भारत की सहायता से पनबिजली परियोजनाओं के चलाए जाने की जरूरत अरसे से महसूस की जा रही है। इस समय नेपाल को भारत से प्रतिदिन 150 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती है और वह भी खासकर पश्चिम बंगाल के रास्ते से। लेकिन नेपाल को और भी बिजली चाहिए। वह त्रिपुरा के पलटाना संयत्र से 100 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की मांग और कर रहा है। पलटाना की क्षमता 700 मेगावाट बिजली पैदा करने की है, लेकिन उस क्षमता का पूरा इस्तेमाल अभी यहां हो नहीं पा रहा है। त्रिपुरा की मांग पूरी करने के अलावा यह असम व अन्य पूर्वाेत्तर राज्यों की मांग को भी पूरी करता है।

भूटान और अरुणाचल प्रदेश में पनबिजली संयत्र पर काम हो रहे हैं। एक बार वहां का काम पूरा हुआ, तो पूर्वाेत्तर राज्यों सहित भारत का बिजली परिदृश्य बेहतर हो जाएगा। पर चीन अरुणाचल प्रदेश में चलाई जा रही अनेक परियोजना का विरोध कर रहा है और उस क्षेत्र पर ही अपना दावा पेश करता है। वह कहता है कि उस क्षेत्र को किसी समय दक्षिणी तिब्बत कहा जाता था।

भारत और बांग्लादेश के बीच बेहतर रिश्तों के कारण पलटाना बिजली संयत्र का काम सुचारू ढंग से संपन्न हुआ है। इसके कारण बांग्लादेश को भी फायदा होगा। बांग्लादेश के पाकिस्तान परस्त तत्व वहां की नदियांे का इस्तेमाल पलटाना बिजली संयत्र में आवश्यक सामानों की आपूर्ति करने का विरोध करते रहे हैं, लेकिन बांग्लादेश का प्रशासन उसके बावजूद भारत को अपनी नदियों का इस्तेमाल करने की इजाजत दे रहा है।

पिछले अगस्त महीने में 5 हजार टन चावल आंध्र प्रदेश से त्रिपुरा भेजा गया। हल्दिया बंदरगाह से बांग्लादेश स्थित आशुगंज बंदरगाह के मार्फत उसकी ढुलाई हुई। 5 हजार टन और चावल को उसी रास्ते से भेजा जा रहा है। भारतीय खाद्य निगम भी 1000 टन चावल उसी रास्ते से भेज रहा है। आशुगंज से बांग्लादेशी ट्रकों और लाॅरियों में अनाज को त्रिपुरा के नंदनगर तक भेजा जाता है। इससे बांग्लादेश के लोगों को रोजगार मिल रहा है और सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति हो रही है।

माल का इस तरह आना जाना दोनों देशों के बीच के रिश्ते को भी बेहतर बना रहा है। इसके कारण दोनों देशों के आर्थिक विकास को भी बल मिलता है। दोनों देशों के बीच का सहयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत मणिपुर और मिजोरम के लिए म्यान्मार से चावल का निर्यात करने वाला है और वह भी बांग्लादेश के रास्ते से ही होगा।

पूर्वाेत्तर में अगले 18 महीने तक रेलवे के गेज परिवर्तन का काम चल रहा है। इसके कारण सामानों की ढुलाई बाधित होगी। वैसी स्थिति में बांग्लादेश और म्यान्मार की सहायता से उन राज्यों में अनाज पहुंचाया जा सकता है। इस दिशा में सहयोग के आसार बेहतर हो रहे हैं। (संवाद)