चीन और म्यान्मार के संबंधों में इस तरह की तनातनी होने के पीछे का कारण उत्तरी म्यान्मार के शान प्रांत में हो रही उग्रवादी गतिविधियां हैं। उन गतिविधियों की शुरुआत भी एकाएक ही हो गई हैं। पिछले 5 साल से इलाके में शांति थी, लेकिन पिछले महीने 9 फरवरी को कोकांग जनजाति के लोगों ने उग्रवादी कार्रवाई शुरू कर दी और उसके बाद सेना भी उसके खिलाफ सक्रिय हो गई। पिछले एक साल से चीनी मूल के कोकांग उग्रवादियों और म्यान्मार सेना के बीच संघर्ष चल रहा है। सोशल मीडिया में म्यान्मार की ओर से इन उग्रवादी गतिविधियों के लिए चीन को जिम्मेदार बताया जा रहा है। एक ट्विट में कहा गया है कि क्या इस संभावना से इनकार किया जा सकता है कि चीन उग्रवादियों की मदद कर रहा है? आखिर कोकांग हथियार कहां से ला रहे हैं और जब कभी भी म्यान्मार की सेना उस पर हमला करती है, तो वे चीन की ओर क्यों भाग जाते हैं? क्या यही कारण तो नहीं है कि म्यान्मार की सेना को चीन के इलाके में बमबारी करनी पड़ी?

हालांकि आधिकारिक तौर पर म्यान्मार ने इस आरोप से इनकार किया कि उसकी वायु सेना ने चीन के इलाकों का अतिक्रमण किया है। म्यान्मार के राष्ट्रपति ने जापान की एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि चीन द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचनाओं के विश्लेषण का निष्कर्ष यही है कि म्यान्मार की वायु सेना ने चीन के इलाके में बमबारी नहीं की। वे यह कहना चाह रहे थे कि वह बमबारी उग्रवादियों ने ही की होगी। म्यान्मार सेना के एक बड़े अधिकारी ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि कोकांग उग्रवादी चीन के सेवानिवृत सैनिकों को अपने गैंग में शामिल कर रहे हैं। म्यान्मार के सूचना मंत्री ने चीन की सरकार से कहा है कि वे यून्नान प्रांत के अधिकारियों को उग्रवादियों का साथ देने से रोकें।

म्यान्मार का आरोप सच भी हो सकता है और सच नहीं भी हो सकता है, लेकिन इस बात सच है कि तीनों उग्रवादी गुटों के पास अब 5000 हजार लड़ाके हैं। उनके पास चीन के बने हथियार हैं। जनरल ऊ को शक है कि म्यान्मार के अन्य उग्रवादी गुटों को भी वहीं से हथियार मिल रहे होंगे।

उग्रवादियों का कहना है कि वे म्यान्मार में एक संघीय सरकार चाहते हैं, जिसके तहत कोकांग लोगों को ज्यादा स्वायत्तता मिले। अपनी उम्र के 80 साल पार कर चुके उग्रवादी नेता पेंग जियाशेंग एकाएक अब लोगों के बीच में दिखाई पड़ने लगे हैं। 2009 में वे गायब हो गए थे। उनके गुट के लड़ाकों की हालत तक बहुत खराब हो गई थी। लेकिन अब उनके पास भारी हथियार है और हथियार चलाने वाले उग्रवादियों की संख्या भी बहुत बढ़ गई है। उनके पास पैसे की भी कमी नहीं है।

इस साल के अंत में म्यान्मार में चुनाव होने हैं। चुनाव के पहले सरकार उग्रवादियों से बात भी कर रही थी, लेकिन एकाएक उनके पास इतने सारे आए हथियार और उग्रवादी लड़ाकों की संख्या में हुई भारी वृद्धि ने सरकार का गणित बिगाड़ दिया है। इसके कारण बातचीत खतरे में पड़ गई है। चीन आरोप लगा रहा है कि कोकांग जनजाति के लोगों के खिलाफ सेना द्वारा की जा रही कार्रवाई के कारण करीब 60 हजार म्यान्मारी कोकांग चीन में प्रवेश कर चुके हैं। उनमें से 14 हजार तो चीनी रेड क्रास द्वारा निर्मित शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। चीन की सरकार चाहती है कि उन शरणाथियों को जल्द से जल्द म्यान्मार लाने का माहौल तैयार किया जाय। (संवाद)