भारत का निर्यात पिछले एक साल से लगातार घटता जा रहा है और रूस पर पश्चिमी देशों की ओर से अनेक प्रकार के आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगे हुए हैं। रूस पर वे प्रतिबंध यूक्रेन में उसके द्वारा किए जा रहे हस्तक्षेप के कारण लगे हैं। अब अमेरिका भी यूक्रेन की समस्या मंे शामिल हो गया है और वहां की समस्या अब संकट का रूप धारण करने लगी है।

जब भारत का सोवियत संघ के साथ वस्तु विनिमय और रूपया रूबल का समझौता था, तो इससे दोनों देशों को बहुत फायदा हुआ करता था।

हाल ही में रूस ने ब्रिक्स देशों को उसी तरह की व्यवस्था करने के लिए आमंत्रित किया। चीन ने वह प्रस्ताव स्वीकार भी कर लिया है। रूस की बहुत इच्छा है कि भारत भी उस व्यवस्था को एक बार फिर से स्वीकार कर ले। उसे उम्मीद है कि इसके कारण भारत और रूस में व्यापार का जो वर्तमान स्तर 10 अरब डाॅलर का है, वह अगले 6 से 7 सालों में बढ़कर 30 अरब डाॅलर का हो जाएगा। यदि भारत अपनी वर्तमान विकास दर को कायम रखता है, तो उस लक्ष्य की प्राप्ति करना बहुत ही आसान होगा।

अब यह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निर्भर करता है कि वह रूस के उस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं या नहीं। अगले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस के दौरे पर जा रहे हैं। वहां वे रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से भी मिलेंगे। उस बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होने की पूरी संभावना है। प्रधानमंत्री को वह प्रस्ताव स्वीकार कर लेना चाहिए।

पिछले साल भारत ने उसी तरह का एक समझौता ईरान से कर रखा था। उससे भारत को बहुत लाभ हुआ। ईरान पर भी अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगे हुए थे। उसके साथ अमेरिकी डाॅलर में व्यापार नहीं हो सकते थे। भारत वहां से कच्चे तेल का आयात करता है और हम उससे पेट्रो डाॅलर में भी आयात नहीं कर सकते थे। इसलिए उसके साथ भारत ने अपनी मुद्रा में ही व्यापार किया। इससे दोनों देशों को बहुत फायदा हुआ। उसके कारण प्रतिबंध के बावजूद भारत वहां से तेल का आयात करता रहा। भारत ही नहीं, चीन भी उसी व्यवस्था के द्वारा ईरान से तेल का आयात कर रहा था।

कुछ रूसी आयात कंपनियों ने भारत से आयात करने वाले आयटमों में दिलचस्पी दिखाते हुए उनके बारे में सर्वे करवाया है। उन्होंने भारत के निर्यातकों से भी जानकारियां मंगवाई हैं। उनमें डेयरी सेक्टर भी एक है। तेल की कीमतों में गिरावट के कारण भारत के डेयरी उत्पादों की मांग विदेशों में घटी है, इसलिए उसका निर्यात भी प्रभावित हुआ है। रूस डेयरी उत्पादों का एक बड़ा उपभोक्ता देश है। इसलिए वहां डेयरी उत्पादों को निर्यात करने की संभावना से भारत के डेयरी उत्पादक बहुत ही उत्साहित हैं।

यदि रूपया रूबल व्यापार पर दोनों देशों में समझौता हो जाता है, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आगामी रूस यात्रा की वह सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। दोनों देशों के बीच रक्षा उत्पादन और परमाणु सहयोग को लेकर भी बातचीत चल रही है। (संवाद)