दोनों पक्षों के बीच आर्थिक सहयोग शुरू करने के लिए संस्थागत ढांचा खड़ा करने के उद्देश्य से भारत और आसियान ने 8 अक्तूबर 2003 को व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) पर हस्ताक्षर किये । वस्तुओं के व्यापार के बारे में समझौते के बावत वार्ता मार्च 2004 में शुरू हुई और मई 2009 में समाप्त हुई । इस बीच आसियान ने चीन(2004), दक्षिण कोरिया (2006), जापान (2007), आस्ट्रेलिया ओर न्यूजीलैंड (2009) के साथ मुक्त व्यापार समझौते एफटीए पर हस्ताक्षर किए

भारत आसियान वस्तु व्यापार समझौता

भारत और आसियान ने 13 अगस्त 2009 को वस्तु व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये । ब्राुनेई , दारूस्सलाम, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, पीडीआर, मलेशिया, म्यामां, फिलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम की सदस्यता वाले दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संगठन आसियान ने व्यापक आर्थिक सहयोग के तहत यह समझौता भारत के साथ किया है । यह समझौता इस वर्ष पहली जनवरी से मलेशिया , सिंगापुर और थाईलैंड के संदर्भ में लागू हो गया है । अन्य देशों के साथ यह समझौता संबंधित देशों की आंतरिक आवश्यकताओं संबंधी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद लागू होगा ।

वस्तु व्यापार समझौते के अलावा संबंधित समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं-

क. भारत और आसियान के बीच हुए व्यापक आर्थिक सहयोग फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन के बारे में समझौता;

ख. भारत और आसियान के बीच किसी विवाद की स्थिति में निपटारे के लिये व्यापक आर्थिक सहयोग फ्रेमवर्क समझौते के तहत विवाद निपटान व्यवस्था कायम करने के बारे में समझौता;

ग. भारत और आसियान के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग फ्रेमवर्क समझौते के तहत वस्तु व्यापार समझौते के अनुच्छेद 4 के बारे में समझ।

द्विपक्षीय व्यापार

वस्तु व्यापार समझौता, भारत और आसियान के बीच पहले से चले आ रहे व्यापार को और अधिक बढा़वा देगा । आसियान भारत का प्रमुख व्यापारिक भागीदार है और भारत के कुल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 9.42 प्रतिशत संगठन देशों के साथ होता है। वित्त वर्ष 2008-09 में भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 45 अरब यू एस डालर का था । भारत और आसियान ने द्विपक्षीय व्यापार 2010 तक 50 अरब यू एस डालर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है और इसके पूरे होने की पूरी उम्मीद है ।

आयात शुल्क रियायतें

वस्तु व्यापार समझौते के तहत सभी पक्षों ने आयात शुल्क की सूची तैयार कर ली है । इसी सूची में स्पष्ट कर दिया गया है कि किस वस्तु पर कितनी छूट दी जाएगी या कोई छूट नहीं दी जाएगी । भारत ने आयात शुल्क के बारे में ही जो वचन दिया है उनको निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-

आयात शुल्क उन्मूलन:

आयात शुल्क नार्मल ट्रैक 1 पर एक जनवरी 2010 से 31.12.2013 के बीच वार्षिक कटौतियों के जरिये क्रमिक रूप से 7775 वस्तुओं पर आठ अंकीय एचएस कोड स्तर पर समाप्त कर दिया जाएगा ।

नार्मल ट्रैक -2 -एक जनवरी 2010 से 31.12.2016 के बीच वार्षिक कटौतियों के जरिये 1252 वस्तुओं (8 अंकीय एचएस कोड स्तर )पर क्रमिक रूप से समाप्त हो जाएगा ।

आयात शुल्क कटौती

आयात शुल्क में क्रमिक रूप से कटौती की जाएगी । संवेदनशील मार्ग (ट्रैक) एक जनवरी 2010 से 31.12.2016 के बीच वार्षिक कटौतियों के जरिये 1805 वस्तुओं (8 अंकीय एचएस कोड) पर 5 प्रतिशत तक कटौती, अति संवेदनशील ट्रैक एक जनवरी 2010 से 31 दिसम्बर, 2019 के बीच वार्षिक कटौतियों के जरिये कच्चा पाम ऑयल पर 37.5 प्रतिशत तक, चाय, काफी और परिशोधित पाम ऑयल पर 45 प्रतिशत तक और काली मिर्च पर 50 प्रतिशत तक कटौती की जाएगी ।

नकारात्मक सूची

1297 वस्तुओं के आयात शुल्क में कोई छूट नहीं रहेगी । (8 अंकीय एचएस कोड स्तर) ।

सिंगापुर को छोड़कर प्रत्येक देश ने एक नकारात्मक सूची तैयार की है ताकि घरेलू संवेदनशीलता का ध्यान रखा जा सके । भारत ने कृषि, कपड़ा, ऑटो और रासायनिक क्षेत्रों में स्वदेशी संवेदनशीलता को देखते हुए बहुत सारी वस्तुओं को आयात शुल्क की कटौती वाली सूची से दूर रखा है । यहां यह गौर तलब है कि आसियान की अनिच्छा के बावजूद भारत नकारात्मक सूची पर अड़ा रहा और अंतत: इसे सुनिश्चित किया । चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ आसियान का जो मुक्त व्यापार समझौता है, उसमें नकारात्मक सूची है ही या नहीं, और है भी तो बहुत मामूली । नकारात्मक सूची के माध्यम से जिन प्रमुख वस्तुओं को संरक्षण दिया गया है वे हैं -

सब्जियां- टमाटर प्याज, लहसुन, अदरक, गाजर, मूली, गोभी, ककड़ी, मटर, बींस, मिर्च, शिमला मिर्च, आलू आदि ।

फल- मेवा- नारियल, खोपरा, काजू गिरी, सुपारी, केला, अन्ननास, अमरूद, आम, संतरा, अंगूर, किशमिश, सेब, नींबू, तरबूज, पपीता, चेरी आदि ।

मसाले- मिर्च पाउडर, जायफल, वनीला, इलायची, सौंफ, धनिया बीज, जीरा, हल्दी, सरसों , पोस्तदाना आदि ।

अनाज- चावल, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी, माल्ट आदि ।

तिलहन तेल-सोयाबीन, मूंगफली, अलसी, रेपसीड, सूर्यमुखी बीज, सोया तेल, मूंगफली तेल, सूर्यमुखी तेल, नारियल तेल आदि ।

मछली मत्स्योत्पाद- ट्राउट, सोल, टूना, हेरिंग, कॉड, सारडीन, मेकरेल, हिल्सा, दारा सीर, पाम्फ्रेट, कैटलफिश, श्रिम्प (झींगा) प्रान, क्रैब (केकड़ा), लाब्स्टर (घोंघा) प्रसंस्कृत टूना, कैवियर आदि ।

अन्य- प्राकृतिक रबड़, तम्बाकू, गुलाब, कार्नेशन, आकिर्ड, दूध, मक्खन, घी, प्राकृतिक शहद, स्टार्च, चीनी, गुड़, टैपियोका आदि ।

कपड़ा-सूत के बुने कपड़े- धोती, साड़ी, शर्टिंग, केसमेंट, अपहोल्स्टरी आदि, पालिस्टर धागा, तंतु (फिलामेंट) धागे के कुछ कृत्रिम कपड़े आदि ।

ऑटो- कार, बस, तिपहिया वाहन, लारी, ट्रक, चौसिस, ब्रोक, क्लच, साइलेंसर, सेपऊटीबेल्ट आदि ।

रसायन- मिट्टी का तेल, डीजल, विमान र्इंधन, जिंक आक्साइड, रेड आक्साइड, डिस्टेम्पर, हर्बीसाइड, खरपतवार नाशक और रोगाणुनाशक आदि ।

सभी पक्षों ने वार्षिक शुल्क कटौती के साथ-साथ समय सीमा भी निर्धारित कर दी है । पहली जनवरी 2010 से शुरू हो रहे शुल्क का भी निर्धारण कर दिया गया है -

· 31 दिसम्बर 2019 - भारत और आसियान-5 (यथा-ब्राूनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड) ।

· 31 दिसम्बर 2022 - भारत और फिलीपीन्स के बीच और

· 31 दिसम्बर 2024- आसियान के नए सदस्य देश - यथा कम्बोडिया, लाओस पीडीआर, म्यामां और वियतनाम

· भारत की आयात शुल्क संबंधी सूची पर सहमति-आयात शुल्क दोचरणों में समाप्त किया जाएगा । पहला चरण -31 दिसम्बर 2013 तक और दूसरा चरण 31 दिसम्बर 2016 तक ।

सुरक्षा व्यवस्था

समझौते में आयात शुल्क छूट के कारण आयात में अचानक होने वाली भारी वृद्धि की समस्या से निपटने के लिये सुरक्षा की व्यवस्था भी की गई है । यदि अचानक आई बढत़ से घरेलू उद्योग को कोई हानि होने की संभावना हो तो सुरक्षा शुल्क जैसे सुरक्षात्मक उपाय शुरू किये जा सकते हैं ताकि घरेलू उद्योगों को चौपट होने से बचाया जा सके । संक्रमण काल के दौरान किसी भी पक्ष को सुरक्षात्मक उपाय अपनाने का अधिकार होगा । यह संक्रमण काल समझौता लागू होने की तारीख से शुरू होकर शुल्क छूट अथवा समाप्ति की तारीख से 5 वर्ष पहले तक चलेगा । उदाहरणार्थ यदि पाम आयल के आयात से घरेलू खाद्य तेल उद्योग को कोई गंभीर खतरा पैदा होने की आशंका नजर आती है तो भारत एक जनवरी 2010 से लेकर 31.12.2024 तक कभी भी सुरक्षात्मक उपाय कर सकता है ।

भारत के लिये लाभ

समझौते से द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश में वृद्धि होगी, जिसके फलस्वरूप भारत के आर्थिक हितों को काफी लाभ होने की आशा है । भारत के मशीनरी और मशीनों के कलपुर्जे, इस्पात और इस्पात से बनी वस्तुएं , खली, गेहूं, भैंस मांस, आटो मोबाइल और आटो कम्पोनेंट, रसायन, सिंथेटिक कपड़े आदि के निर्यात को आसियान देशों में अतिरिक्त बाजार सुलभ होगा । भारतीय निर्माता आसियान बाजारों से प्रतिस्पर्धी दरों पर जरूरी उत्पाद प्राप्त कर सकेंगे ।

सेवा और निवेश व्यापार समझौता

भारत और आसियान के बीच इन दिनों सेवा क्षेत्र और निवेश में व्यापार पर समझौते के संबंध में वार्ता जारी है । आशा है कि लक्ष्य के अनुसार यह वार्ता अगस्त 2010 तक पूरी हो जाएगी। भारत के सेवा क्षेत्र के लिये आसियान से निर्यात की असीम संभावनायें हैं । सेवा क्षेत्र में आसियान का कुल व्यापार करीब 2 खरब 80 अरब 90 करोड़ यू एस डालर का है जबकि भारत का कुल 1 खरब 37 अरब 50 करोड़ डालर का ही है ।#