बढ़ते सहयोग का एक उदाहरण भारत और बांग्लादेश के बीच नदियों द्वारा किए जा रहे व्यापार और आवागमन से दिखाई देता है। भारत ने हल्दिया से त्रिपुरा भारी पैमाने पर सामान भेजे और वे सामान बांग्लादेश की नदियों के मार्फत गए। पलटाना पावर प्लांट के वे सामान थे। उसके बाद 20 हजार टन चावल भी बांग्लादेश स्थित नदियों की सहायता से हल्दिया से त्रिपुरा पहुंचे।
माल की उस आवाजाही के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच पावर सेक्टर मंे सहयोग के लिए भी बातचीत हुई। इस समय बांग्लादेश भारत से 1000 मेगावाट बिजली प्रतिदिन लेता है। वह बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल से होते हुए उसके पास जाती है। इसके कारण बांग्लादेश को बिजली की कमी नहीं खलती। लेकिन इस सेक्टर में सहयोग और भी बढ़ने की संभावना है।
2020 तक बांग्लादेश को रोजाना 20 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि वहां तेज औद्योगिक और आर्थिक विकास हो रहा है। उसे पूरा करने के लिए बांग्लादेश को भारत की जरूरत पड़ती रहेगी। इसके लिए उसे पालाटाना और पूर्वाेत्तर ग्रिड से बिजली मिलती रहेगी। इसके अलावा भारत बांग्लादेश को 1320 मेंगावाट का पावर प्लांट स्थापित करने में मदद करेगा। यह बगरहाट में स्थापित होने जा रहा है। इसके अलावा भारत के निजी क्षेत्र की कंपनियां भी अनेक पावर यूनिट बांग्लादेश में लगाने जा रही हैं। बांग्लादेश रूस की मदद से दो परमाणु पावर संयत्र भी स्थापित कर रहा है।
पिछले दिनों बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत इन देशों को सड़कों से जोड़ा जाना है। यह सड़क परिवहन परियोजना बहुत ही महत्वाकांक्षी है। इस योजना के पूरा होने के बाद भारत के मुख्य भाग की पूर्वाेत्तर राज्यों से दूरी 600 से 900 किलोमीटर कम हो जाएगी।
अभी भारत को सुदूर उत्तर पूर्व इलाको से जुड़ने के लिए आतंकवादियों का सामना तो करना ही पड़ता है, पूर्वाेत्तर राज्यों की सड़कें भी बहुत खराब और दुर्गम हैं। इसके कारण सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना बहुत कठिन हो जाता है। पूर्वाेत्तर राज्यों के पिछड़ेपन का एक कारण यह है कि वहां विकास के लिए सामान बगैरह ले जाना बहुत ही महंगा और समय गंवाने वाला साबित होता है। मानसून के दौरान तो वह लगभग असंभव हो जाता है।
दक्षिण एशियाई देशों के बीच हो रहे बन रही संपर्क सड़क के बाद म्यान्मार और थाइलैंड के साथ भारत के सड़क परिवहन विकसित करने का काम शुरू किया जाएगा। इसके कारण भारत विकसित दक्षिण पूर्व एशिया से साथ बहुत अच्छी तरह जुड़ जाएगा।
यदि म्यांमार और थाइलैंड के साथ सड़क परिवहन व्यवस्था तैयार हो जाती है, तो भारत के लोग सड़क के रास्ते ही सिंगापुर तक जा सकते हैं, क्योंकि आगे सड़क मार्ग पहले से ही विकसित हैं। इसके कारण दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया बहुत नजदीक आ जाएगा और दोनों के बीच व्यापार में भारी वृद्धि होगी। (संवाद)
दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग ले रहा है रूप
भारत और बांग्लादेश को होगा बहुत फायदा
आशीष बिश्वास - 2016-01-08 12:07
कोलकाताः दक्षिण एशिया में धीरे धीरे क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग रूप लेने लगा है। भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच हुए समझौते अब अमल भी किए जाने लगे हैं।