संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस मसले पर मतदान हुआ था। मतदान में 122 सदस्य देशों ने इसके पक्ष में वोट डाले, जबकि नीदरलैंड एकमात्र ऐसा देश था, जिसने इसके खिलाफ वोट डाला। सिंगापुर ने इस मतदान से अपने आपको अलग रखा। इस समय दुनिया में नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं। वे देश हैं- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, इजरायल, पाकिस्तान और नाॅर्थ कोरिया। ये देश इससे संबंधित बातचीत में शामिल ही नहीं रहे। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस ने तो अन्य सदस्य देशों पर बहुत दबाव डाला और उन्हें परमाणु छतरी उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया। लेकिन ये देश 122 देशों को इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट डालने से रोक नहीं सके।
यह कोई आसान काम नहीं था। स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोग परमाणु हथियारों से लोगों के ऊपर पड़ने वाले स्वास्थ्य परिणामों को लेकर बहुत समय से चिंतित हैं। 1980 में गठित इंटरनेशनल फिजिसियंस फाॅर द प्रीवेंशन आॅफ न्यूक्लियर वार ने इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय अभियान चला रखा था। उसने दुनिया के अलग अलग जगहों में अनेक गोष्ठियां आयोजित की और परमाणु हथियारों से होने वाले खतरों से सबको आगाह किया।
हमें पता है कि 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में हुए परमाणु हमलों से लोगों को कितना नुकसान हुआ था। प्राप्त आंकडों के अनुसार अकेले हिरोशिमा में एक लाख 40 हजार लोग मारे गए थे और नागासाकी में 70 हजार लोगों की जान गई थी। परमाणु हथियार कोई सामान्य हथियार नहीं है। इसका बहुआयामी असर होता है। परमाणु विस्फोट से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है और विस्फोट के समय उतना ही तापमान रहता है, जितना सूरज के भीतरी हिस्से में होता है। इसके कारण ठोस पदार्थ पिघलने लगते हैं।
इसके कारण वातावरण को झटका लगता है और तेज हवा चलने लगती है, जिसकी गति सैंकड़ो किलोमीटर प्रति घंटे होती है। इससे मजबूत मकान भी गिरने लगते हैं। ताप और हवा की गति से ही जापान में दो लाख से भी ज्यादा लोग मारे गए थे।
परमाणु विस्फोट के बाद विकरण भी शुरू हो जाता है। उसके कारण अंग जलने लगते हैं और उनसे खून भ निकलने लगता है। उसके कारण भी मौत होती है। जिन्हें विकरण का हल्का डोज भी मिला है, वे कुछ महीनों में मर जाते हैं और मरने के पहले उनकी जिंदगी नर्क बन जाती है। अनेक लोगो को तो तरह तरह के कैंसर हो जाते हैं और वे महीनों या सालों बाद मर जाते हैं। विकरण के कारण जेनेटिक म्यूटेशन भी होता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी अनेक पीढ़ियों तक प्रभावी रहता है। इसके कारण विकरणग्रस्त क्षेत्र में पैदा होने वाले बच्चे अनेक प्रकार के दोषों के शिकार रहते हैं। इसका एक प्रभाव यह भी होता है कि जिन इलाकों में विकरण रहता है, वहां डाॅक्टर इलाज करने के लिए जाने से हिचकते हैं।ं
भारत दुनिया में शांति का पाठ पढ़ाते रहता है। यह निरपेक्ष गुट आंदोलन का नेता भी रह चुका है। हमें अब उसी परंपरा को बढ़ाते हुए दुनिया के देशों को इस संधि पत्र पर दस्तखत करने के लिए तैयार करना होगा। (संवाद)
परमाणु हथियारों से स्वास्थ्य संकट
परमाणु संपन्न देशों को प्रतिबंध के समझौते पर दस्तखत करना चाहिए
डाॅक्टर अरुण मित्र - 2017-09-26 10:11
7 जुलाई 2017 का दिन दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक दिवस है। उस दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पास कर परमाणु हथियारों को अवैध घोषित कर दिया। उसके बाद 20 सितंबर से परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक संधि पत्र पर सदस्य देशों द्वारा दस्तखत किए जाने का दिन शुरू हो गया है। इस संधि के तहत परमाणु हथियारों का विकास, परीक्षण, उत्पादन, भंडारन और से किसी तरह हासिल करना अवैध होगा। इस संधि के अनुसार परमाणु हथियारों को किसी अस्त या शस्त्र पर तैनात करना भी गैरकानूनी होगा।