मंत्री महोदय ने कमोडिटी फ्यूचर और डेरिवेटिव बाज़ार की खातिर मौजूद नियंत्रण की रुपरेखा को और मजबूत बनाने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमलोगों को बुनियादी स्तर पर सीमा के भीतर रहने पर विचार करने की ज़रुरत है और अधिक कीमत पर बेचने की नीयत से की जाने वाली खरीदारी को भी नियंत्रित विनिमय के तहत लाना होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन में प्राकृतिक और वित्तीय बाज़ार को नियामक की निगरानी में लाने के लिए की गई पहल को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया।

वर्ष 2008 की स्थिति की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए श्री रेड्डी ने आईईएफ और दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को एक नियामक व्यवस्था स्थापित करने के लिए भारत के सहयोग का भरोसा दिया।

आईइएफ की मंत्री स्तरीय विशेष बैठक इस प्रक्रिया का आखिरी चरण है। इसकी शुरुआत कानकुन में मार्च 2010 में 12वें आईईएफ मंत्री स्तरीय घोषणा के साथ हुई थी, जिसे 66 देशों ने मंजूरी दी थी। कानकुन मंत्री स्तरीय घोषणा में मुख्यत दो बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया : पहला उत्पादक उपभोक्ता वार्ता को मजबूत बनाने के लिए रुपरेखा और दूसरा उर्जा बाज़ार में जारी अस्थिरता में कमी लाना।

पेट्रोलियम मंत्री के भाषण के मुख्य अंश निम्नलिखित है-भारत पेट्रोलियम पदार्थों की खपत करने वाला दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है और इसकी उभरती हुई अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत से अधिक सालाना के दर से बढ़ रही है। आईईएफ के नए संविधान के दायरे में भारत अर्थपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है ताकि उत्पादक और उपभोक्ता देशों के बीच बेहतर सहयोग और समझदारी को बढ़ावा दिया जा सके।