पाकिस्तान के लोग जरदारी की सरकार से जानना चाहेंगे कि अमेरिका ने बिना पाकिस्तान सरकार से अनुमति लिए उसकी सीमा के अंदर इस तरह की सैनिक कार्रवाई कैसे कर दी? इसके बावजूद पाकिस्तान अपने आपको एक संप्रभुतासंपन्न देश कैसे कह सकता है? पाकिस्तान की हालत अब ऐसी हो गई है कि अमेरिका जब चाहे वहां सैनिक कार्रवाई कर दे और वहां की सरकार और सेना उसका कुछ नहीं कर सकती। पाकिस्तान की जनता के इन सवालों और संदेहों का कोई जवाब वहां की सरकार के पास नहीं है। सच तो यह है कि पाकिस्तान के हुक्मरान अपने देश की जनता के सामने एक जोकर रूप मंे खड़े दिखाई दे रहे हैं।

पाकिस्तान की जनता के सामने ही नहीं, बल्कि विश्व समुदाय के सामने भ्री पाकिस्तान की स्थिति हास्यास्पद हो रही है। पाकिस्तान की सरकार कह रही थी कि ओबामा उसके देश मंे है ही नहीं। हालांकि जरदारी की सरकार के पहले वाली मुशर्रफ सरकार कहती थी कि ओसामा पाकिस्तान में अफगानिस्तान सीमा से लगी पहाड़ियों मंे कहीं हो सकता है, लेकिज जरदारी सरकार तो कह रही थी कि अब ओसामा इस दुनिया में ही नहीं रहा। अब विश्व समुदाय पाकिस्तान के हुक्मरानों से जानना चाहेगा कि ओसामा पाकिस्तान में कहां से निकल आया। जाहिर है इस सवाल का भी कोई जवाब वहां की सरकार के पास नहीं है।

यानी आज पाकिस्तान की सरकार ने अपनी मिट्टी अपने देश के अंदर ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में पलीद कर ली है। वह एक ऐसी लाचार सरकार है जिसके पास कहने को कुछ भी नहीं है। वह अपने देश की जनता को अपनी संप्रभुता की रक्षा करने का वायदा तक नहीं कर सकती और विश्व समुदाय को आंतक के खिलाफ लड़ाई में साथ देने वाला एक विश्वसनीय साथी होने का दावा भी नहीं कर सकती।

आज पाकिस्तान जिस हास्यास्पद स्थिति में पहुंचा है, उसके लिए वह खुद जिम्मेदार है। अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही वह भारत के प्रति एक बहुत बड़ी ग्रंथि पाले हुए है। वह एक अलग देश बन गया है, लेकिन वह अपने अलग अस्तित्व का अहसास करने के लिए भारत विरोध का सहारा लेता है। भारत उसके दिलो दिमाग पर इस कदर छाया रहता है कि वह इसके बिना कुछ सोच ही नहीं सकता। अस्तित्व में आने के बाद वह अपना एक विभाजन भी देख चुका है। उसे लगता है कि उसका विभाजन भारत ने करवाया। इसके साथ उसे लगता है कि भारत उसके अस्तित्व के लिए ही बहुत बड़ा खतरा है। सच तो यह है कि पाकिस्तान कभी भी अपने अलग अस्तित्व को लेकर निश्चिंत रहा ही नहीं। पूर्वी पाकिस्तान के अलग होने के बाद तो उसकी चिंता और बढ़ गई। उसका वह विभाजन उसकी अपनी मूर्खता के कारण हुआ, पर वह समझता है कि उसके पीछे भारत का हाथ था।

अभी भी अपनी अनेक समस्याओं में वह भारत का हाथ देखता है। यानी भारत को लेकर उसके सोच में जो मूर्खता ने जगह बनाई है, उसका कोई अंत ही नहीं है। इसके कारण वह भारत के लिए समस्याएं खड़ी करता हैं। उसने पहले पंजाब के आतंकवादियों को प्रश्रय दिया। जब उनका सफाया हो गया, तो फिर कश्मीर के आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देकर उसे भारत से अलग करने की कोशिश में ही उसका नाश हो रहा हैं। उसने आतंकवाद का एक ऐसा माहौल बना दिया है, जिसमें उसका समाज ही हिंसक हो गया है। उसकी हिंसा जितना भारत को परेशान कर रही है, उससे कई गुना ज्यादा खुद उसका नुकसान कर रही है। भारत तो किसी तरह पाकिस्तान सृजित हिंसा का सामना कर लेगा, लेकिन जिस तरह का हिसंक पाकिस्तानी समाज आज वहां अस्तित्व में आ गया है, उसका सामना खुद पाकिस्तान कर लेगा, इसके बारे में किसी को भी संदेह हो सकता है।

भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखना पाकिस्तान के हित में है, लेकिन वह इसके लिए तैयार ही नहीं है। उसकी अपनी आर्थिक हालत इतनी खराब है कि वह अमेरिकी सहायता पर आश्रित हो गया है,ए लेकिन उसके बावजूद वह भारत के साथ हथियारों की होड़ में शामिल है। उसके पास खाने को पैसे नहीं हैं, लेकिन वह हथियारों का जखीरा खड़ा कर रहा है, ताकि भारत से खुद की रक्षा कर सके। पर सवाल उठता है कि यदि कश्मीर समस्या का हल निकल जाए, तो फिर भारत से उसको कोई खतरा ही कहां है? उसे लगता है कि भारत अभी भी उसके निर्माण को स्वीकार नहीं कर पाया है। इससे भी खराब बात यह है कि उसे लगता है कि उसका अभी तक पूरा निर्माण ही नहीं हुआ है। वह कश्मीर समस्या को भारत के विभाजन का एक अपूर्ण एजेंडा मानता है। यानी उसका कहना है कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर के जुड़ जाने के बाद ही पाकिस्तान के निर्माण की प्रक्रिया पूरी हो पाएगी। और पाकिस्तान के साथ कश्मीर को जोड़ने के लिए वह उतनी ताकत लगा रहा है, जितनी उसके पास है ही नहीं।

अमेरिका के हाथों पाकिस्तान की संप्रभुता को यदि आज खतरा पैदा हो गया है तो इसके लिए वह खुद जिम्मेदार है। अमेरिका के सामने उसने अपनी स्थिति एक भिखारी की बना रखी है। उसके रहमो करम पर वह पल रहा है,फिर वह यह कैसे उम्मीद कर सकता है कि अमेरिका उसके साथ वैसा ही सलूक करे, जो एक संप्रभु राष्ट्र दूसरे संप्रभु राष्ट्र के साथ करता है? ओसामा को मारने के लिए अमेरिका ने जो तरीका अपनाया है, उससे यह डर लगता है कि कहीं पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को नष्ट करने के लिए भी वह कुछ वैसा ही तरीका अपना न ले।

पाकिस्तान को अपनी संप्रभुता की रक्षा करने का आज एक ही विकल्प बचा हुआ है और वह है भारत के साथ उसके अच्छे रिश्ते का होना। भारत के साथ उसका रिश्ता तभी सुधरेगा, जब कश्मीर समस्या का हल निकल जाएगा। पाकिस्तान भी इस बात को बखूबी समझता है, लेकिन उसकी नजर में इस समस्या का जो हल होना चाहिए, वह कभी संभव है ही नहीं। वह कश्मीर को भारत से तोड़कर इसका हल निकालना चाहता है। ऐसी चाह मे ंवह यह भूल जाता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इसकी धर्मनिरपेक्षता की एक कसौटी कश्मीर भी है। कश्मीर समस्या का हल ढूंढ़ने के लिए बातचीत करते समय यदि पाकिस्तान यह ध्यान रखे कि वह एक हिंदू राष्ट्र से नहीं, बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष राज्य से बात कर रहा है, तो उसे यह बात समझ में आ जाएगी कि कश्मीर पर उसका दावा गलत है। कश्मीर पर अपना दावा त्याग कर पाकिस्तान अपने निर्माण की प्रक्रिया को पूरा मान ले और भारत के साथ दोस्ती कर अमेरिका के ऊपर अपनी निर्भरता को त्याग दे। इसी में उसका भला है और उसके सुरक्षित भविष्य की यही गारंटी है। (संवाद)