व्यंग्य भाषा का वह स्वरुप है जिसमें शब्दों के अर्थ वह नहीं होते जो सामान्य रुप से होते हैं। ऐसी भाषा में अप्रत्यक्ष्य रुप से कटाक्ष होता है।
ये दो प्रकार के होते हैं - अगूढ़ व्यंग्य तथा गूढ़ व्यंग्य।
ये दो प्रकार के होते हैं - अगूढ़ व्यंग्य तथा गूढ़ व्यंग्य।