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सिक्किम

सिक्‍किम का प्रारंभिक इतिहास 13 वीं शताब्‍दी से आरंभ होता है जब लेप्‍चा प्रमुख थेकोंग-थेक और तिब्‍बत के राजकुमार खे-भूमसा के बीच उत्तरी सिक्‍किम में काब लुंगत्सोक में भाईचारे के एक समझौते पर हस्‍ताक्षर हुए। इसके बाद सन 1641 में तिब्‍बत के सम्‍मानित लामा संतों ने पश्‍चिमी सिक्‍किम के युकसाम प्रांत की ऐतिहासिक यात्रा की, जहां उन्‍होंने खे-हूमसा के छठी पीढ़ी के वंशज फुंत्‍सोग नामग्‍याल राजवंश का उदय हुआ। समय के बदलाव के साथ सिक्‍किम लोकतांत्रिक प्रक्रिया से गुजरा और 1975 में वह भारतीय संघ का अभिन्‍न अंग बन गया। गुरु पद्मसंभव ने अपने तिब्‍बत प्रवास के दौरान इस स्‍थान को आशीर्वाद दिया था। सिक्‍किम में सभी समुदायों के लोग आपसी सद्भवाव से रहते हैं। सिक्‍किम में भिन्‍न-भिन्‍न मतों से जुड़े लोग हैं और शायद यह भारतीय संघ में सांप्रदायिक सद्भाव और मानवीय संबंधों को बढ़ावा देने वाला सर्वाधिक शांति वाला राज्‍य है जिसकी भारत जैसे बहुसामाजिक व्‍यवस्‍था वाले देश में नितांत आवश्‍यकता भी है।

विश्‍व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी, कंचनजंगा, जिसे सिक्‍किम की रक्षा देवी माना जाता है, इस राज्‍य पर अपनी मंत्रमुग्ध करने वाले प्राकृतिक सौंदर्य की छटा बिखेरती है। सिक्‍किम जैव विविधताओं से भरा दुनिया के 18 प्रमुख क्षेत्रों में एक है।

पर्यटन

सिक्‍किम अपने हरे-भरे पौधों, जंगलों, दर्शनीय घाटियों और पर्वतमालाओं और अव्‍वल सांस्‍कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है और यहां के शांतिप्रिय लोगों की वजह से यह प्रदेश पर्यटकों के लिए सुरक्षित स्‍वर्ग के समान है।

सिक्किम का प्रमुख बौद्ध मठ पेलिंग में स्‍थित पेमायांत्‍से है। इसके अलावा यहां पश्‍चिमी सिक्किम ताशिदिंग मठ भी है, जो सिक्‍किम के सभी मठों में सबसे पवित्र माना गया है। सिक्‍किम का सबसे प्राचीन मठ युकसोम है, जिसे ड्रबडी मठ के नाम से जाना जाता है। यह लहातसुन चेन्‍पों (सिक्‍किम के प्रमुख संत) का व्‍यक्‍तिगत आश्रम था जो संभवत: 1700 ईसवी में बना था। कुछ अन्‍य मठों का नाम हैं - फोडोंग, फेन्‍सांग, रुमटेक, नगाडक, तोलुंग, आहल्‍य, त्‍सुकलाखांग, रालोंग, लाचेन, एन्‍चेय। अन्‍य हिंदू मंदिर है - गंगटोक के मध्‍य में स्‍थित प्रमुख रूप से जाना जाने वाला ठाकुर बाड़ी। इसके बाद दक्षिण जिले की एक पवित्र गुफा है जिसमें एक शिवलिंग है जो गुफा को जगमगाता है जहां कोई अन्‍य परेशानी नहीं पहुंच पाती है। राज्‍य में कुछ महत्‍वपूर्ण गुरुद्वारे और मस्‍जिदें भी हैं और उनमें से प्रमुख गंगटोक और रावनगला में हैं।

Page last modified on Thursday April 3, 2014 08:20:21 GMT-0000