अनिद्रा
अनिद्रा एक रोग है। इस रोग के होने पर व्यक्ति को नींद नहीं आती। वाग्भट के अनुसार नींद के अभाव से मन में मोह, मस्तक तथा आंखों पर भारीपन, सारे शरीर में आलस्य, जंभाई, तथा शरीर के टूटने जैसी खराबियां होने लगती हैं। शारीरिक जड़ता के साथ मानसिक ग्लानि होने लगती है। मस्तिष्क की विचार शक्ति में भ्रम होने लगता है। पेट की पाचन पद्धति अव्यवस्थित होने लगती है। तन्द्रा बनी रहती है। वात सम्बंधी रोगों की भूमिका तैयार होने लगती है। शरीर में रूखापन आने लगता है। अनिद्रा से ग्रस्त लोगों में कब्ज, प्रमेह, भूख की कमी, निरुत्साह, थकान, रक्त विकार, सिर दर्द आदि बीमारियां सामान्यतः पायी जाती हैं।वासना तथा वैभव के चक्कर में रहने वाले लोग अपने जीवन की स्वाभाविक नींद को नष्ट कर अनिद्रा जैसे रोग के शिकार हो जाते हैं तथा अन्ततः अपना ही जीवन नरक बना डालते हैं। यह बात अलग है कि ऐसे लोग दुनिया के लिए चकाचौंध वाली जिंदगी प्रस्तुत करते हुए दिखायी देते हैं। वास्तव में अप्राकृतिक जीवन ही अनिद्रा जैसे महारोग का मूल कारण है।
नींद नहीं आने के कई और कारण हो सकते हैं, जैसे विशेष परिस्थितियों के कारण शारीरीक तथा मानसिक पीड़ा। परन्तु विशेष परिस्थितियां समाप्त होते ही इनसे उपजी अनिद्रा स्वतः ठीक हो जाती है।
सहज जीवन पद्धति ही इसका निदान है।
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