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अनीश्वरवाद

अनीश्वरवाद वह अवधारणा है जिसमें ईश्वर के अस्तित्व को अस्वीकार किया जाता है।

ऋग्वेद में भी देवताओं के अस्तित्व को अस्वीकार करने वालों का वर्णन मिलता है।

सांख्य दर्शन के प्रचीन रूप में भी ईश्वर का खंडन किया गया है। पूर्वमीमांसा दर्शन भी अनीश्वरवादी है।

अनिश्वरवादी दर्शन जगत् को स्वाधिष्ठान तथा अपने में पूर्ण मानता है। चार्वाक तथा जैन दर्शन भी ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता। चार्वाक दर्शन प्रत्यक्ष को ही प्रमाण मानता है और कहता है कि चूंकि ईश्वर प्रत्यक्ष नहीं है इसलिए उसका अस्तित्व नहीं है।

अनेक धर्म हैं जो अनीश्वरवादी हैं जिनमें जैन धर्म भी शामिल है। चीन को ताओवाद तथा कन्फ्युशसीय धर्म में भी ईश्वर को मानना आवश्यक नहीं है।

अनीश्वरवाद प्रचीन काल में था परन्तु इसका विकास आधुनिक युग में विज्ञान के विकास के साथ हुआ।

उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में जर्मनी में अनीश्वरवाद अत्यधिक लोकप्रिय हुआ।


Page last modified on Tuesday December 10, 2013 17:10:43 GMT-0000