Loading...
 
Skip to main content
(Cached)

आलोचना

किसी भी व्यक्ति, वस्तु या कृति की सम्यक् या संतुलित व्याख्या करने तथा उसका मूल्यांकन करने को आलोचना कहा जाता है।

आलोचना के अनेक तरीके और मपदंड हो सकते हैं। इन्हीं मापदंडों तथा तरीकों के आधार पर अनेक आलोचना प्रणालियां विकसित हुईं।

प्रमुख आलोचना प्रणालियों में प्रभावात्मक, अनुभवात्मक, मनोवैज्ञानिक, ऐतिहासिक, नर्णयात्मक, वैज्ञानिक, अभिव्यंजनावादी, नैसर्गिक, जीवनवृतान्तीय, कार्यात्मक, वैयक्तिक, क्रियात्मक, तात्विक, मार्क्सवादी, वामपंथी, भौतिकवादी, शास्त्रीय, आत्मगत, व्याख्यात्मक आदि आलोचना प्रणालियां प्रमुख हैं।

आलोचना की प्रवृत्तियों में परिचय प्रधान, गवेषणा प्रधान, सिद्धान्त प्रधान, शास्त्र प्रधान, प्रभाव प्रधान, तुलना प्रधान, चिंतन प्रधान आदि प्रवृत्तियां प्रमुख हैं।

Page last modified on Saturday July 19, 2014 07:42:54 GMT-0000